जेडी-यू में बगावत: शरद यादव गुट का 14 स्टेट यूनिट के समर्थन का दावा
जनता दल यूनाइडेट (जेडी-यू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने बागी रुख अख्तियार करते हुए उनके समर्थन के धड़े को वास्तविक जेडी-यू बताने का दावा किए जाने की तैयारी कर रहे हैं।
highlights
- जेडी-यू में बगावत, असली जेडी-यू का दावा करने की तैयारी कर रहा शरद यादव
- यादव का दावा है कि पार्टी की कई राज्यों की ईकाई उनके साथ है जबकि नीतीश कुमार केवल बिहार जेडी-यू के प्रेसिडेंट की हैसितय रखते हैं
नई दिल्ली:
जनता दल यूनाइडेट (जेडी-यू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने बागी रुख अख्तियार कर लिया है। यादव गुट खुद को वास्तविक जेडी-यू बताने का दावा किए जाने की तैयारी कर रहा है।
यादव का दावा है कि पार्टी की कई राज्यों की ईकाई उनके साथ है जबकि नीतीश कुमार केवल बिहार जेडी-यू के प्रेसिडेंट की हैसियत रखते हैं। यादव की अगुवाई वाले धड़े में दो राज्यसभा सांसद, कुछ राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल हैं।
यादव के करीबी अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि उनके पास पार्टी की 14 राज्य ईकाईयों का समर्थन है।
नीतीश कुमार ने हाल ही में यादव को पार्टी के महासचिव के पद से हटाया है। श्रीवास्तव ने कुमार के इस दावे को खारिज किया कि जेडी-यू केवल बिहार तक सिमटी हुई पार्टी है। उन्होंने कहा कि जनता दल यूनाइटेड राष्ट्रीय स्तर की पार्टी रही है। उन्होंने कहा कि शरद यादव ही थे जो कुमार के समता पार्टी के विलय से पहले अध्यक्ष थे।
श्रीवास्तव ने पीटीआई से कहा, 'हम पार्टी नहीं छोड़ेंगे। नीतीश ने खुद कहा है कि पार्टी बिहार से बाहर वजूद नहीं रखती है तो उन्हें बिहार में नई पार्टी बनानी चाहिए। उन्हें उस जेडी-यू को गिरफ्त में नहीं लेने की कोशिश करनी चाहिए, जिसकी राष्ट्रीय मौजूदगी रही है।'
माना जा रहा है कि शरद यादव को पार्टी के कुछ विधायकों और सांसदों का समर्थन प्राप्त है। राज्यसभा के दो सांसद अली अनवर अंसारी और वीरेंद्र कुमार, नीतीश कुमार के खिलाफ यादव के खेमे में माने जा रहे हैं।
शुक्रवार को दिल्ली आए नीतीश कुमार ने यादव के साथ किसी तरह की बातचीत के दरवाजे की संभावनाओं को बंद कर दिया। कुमार ने कहा कि यादव कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। यादव महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने के फैसले को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं।
नीतीश ने कहा था, 'वह कोई भी फैसला लेने के लिए आजाद हैं। जहां तक पार्टी का सवाल है तो वह पहले ही फैसला ले चुकी है। पार्टी का फैसला अकेले नहीं लिया गया और इसमें पार्टी की सहमति नहीं थी। अगर उनका अलग विचार है तो वह उसे जाहिर करने के लिए आजाद हैं।'
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