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सरकार की तारीफ की जुबानी RBI के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे की पूरी कहानी

देश की आर्थिक नीतियों को लेकर रिजर्व बैंक और मोदी सरकार के बीच चल रहे खटपट के बाद आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया

Updated on: 10 Dec 2018, 10:17 PM

नई दिल्ली:

देश की आर्थिक नीतियों को लेकर रिजर्व बैंक और मोदी सरकार के बीच चल रहे खटपट के बाद आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि उर्जित पटेल ने इस्तीफे के कारण को लेकर कहा, 'व्यक्तिगत कारणों की वजह से मैंने मौजूदा पद तत्काल प्रभाव से छोड़ने का फैसला किया है. वर्षों तक रिजर्व बैंक में विभिन्न जिम्मेदारियों के साथ मुझे रिजर्व बैंक में सेवा का मौका मिला, यह मेरे लिए सम्मान की बात है'. उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली तक ने उनके कामों की तारीफ की लेकिन विपक्ष के साथ ही बीजेपी नेताओं ने भी इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक बताया. कांग्रेस ने इसके लिए मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए इसे देश में आर्थिक आपातकाल तक करार दे दिया.

उर्जित पटेल का इस्तीफा बैंकिंग व्यवस्था के लिए काला धब्बा: कांग्रेस

उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर सोनिया गांधी के करीबी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, जिस तरह से आरबीआई के गवर्नर को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. यह भारत की मौद्रिक और बैंकिंग प्रणाली के लिए एक धब्बे की तरह है. बीजेपी सरकार में वित्तीय आपातकाल जैसी स्थिति है जिसे इस इस्तीफे ने उजागर कर दिया है. देश की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता अब दांव पर है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाकर आर्थिक अराजकता पैदा करना और भारत की मौद्रिक नीतियों के साथ समझौता करना भारतीय जनता पार्टी के डीएनए में है.

सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'अत्याचारी मोदी सरकार ने एक और संस्थान की पवित्रता को दूषित किया, जैसा कि आरबीआई के गवर्नर के इस्तीफे से जाहिर होता है. आर्थिक अराजकता, भारत की मौद्रिक नीतियों से समझौता करना और सरकार द्वारा नियुक्त कठपुतलियों के जरिए आरबीआई की स्वतंत्रता को छिन्न-भिन्न करना बीजेपी के डीएनए में है.'

पीएम नरेंद्र मोदी ने वित्तीय स्थिरता लाने के लिए सराहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आरबीआई (RBI) (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल (Urjit patel) को निर्विवाद रूप से ईमानदार एक पूर्ण पेशेवर करार देते हुए कहा कि पटेल ने बैंकिंग प्रणाली को संकट से उबारा और वित्तीय स्थिरता कायम की. उल्लेखनीय है कि पटेल ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

मोदी ने ट्वीट किया, 'उर्जित पटेल (Urjit patel) (Urjit patel) व्यापक आर्थिक मुद्दों की गहरी समझ रखने वाले बहुत ही उच्च क्षमता के अर्थशास्त्री हैं. उन्होंने बैंकिंग प्रणाली को संकट से निकाल कर व्यवस्थित किया और उसमें अनुशासन सुनिश्चित किया. उनके नेतृत्व में आरबीआई (RBI) ने वित्तीय स्थिरता कायम की."

मोदी ने कहा, "वह डिप्टी गवर्नर और गवर्नर के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में लगभग छह साल रहे. उन्होंने अपने पीछे एक बड़ी विरासत छोड़ी है. हम उन्हें बहुत याद करेंगे.'

जेटली ने भी की उर्जित पटेल की तारीफ

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को उनकी देशसेवा को सराहा और कहा कि उनके साथ काम करना आनंददायक रहा. जेटली ने ट्वीट कर कहा, 'उर्जित पटेल ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और गवर्नर के रूप में इस देश की जो सेवा की है, सरकार उसकी तह-ए-दिल से सराहना करती है. उनके साथ काम करना और उनकी विद्वता का लाभ उठाना मेरे लिए आनंददायक था.' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'मैं पटेल को आने वाले वर्षो में जनता की सेवा के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं.

देश की अर्थव्यवस्था को होगा नुकसान: सुब्रमण्यम स्वामी

बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, 'उनका इस्तीफा हमारी अर्थव्यवस्था, रिजर्व बैंक और सरकार के लिए ठीक नहीं है. उन्हें कम से कम जुलाई तक अपने पद पर बने रहना चाहिए था यब उस वक्त तक जबतक नई सरकार नहीं बन जाती. पीएम को उन्हें बुलाकर उनसे समस्या जाननी चाहिए और इस देश के लोगों के हित में उन्हें पद पर बने रहने के लिए कहना चाहिए'.

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पटेल के इस्तीफे के कारण होंगे: सी.रंगराजन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने सोमवार को कहा कि वह आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे से 'दुखी' और 'हैरान' हैं. रंगराजन ने कहा, 'यह दुखद है, क्योंकि आरबीआई गवर्नर के इस्तीफे का असर वित्तीय बाजार पर पड़ेगा. सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और तुरंत एक नया गवर्नर नियुक्त करना चाहिए.'

आंध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल रंगराजन ने कहा, 'उन्होंने इस्तीफा देने का निजी कारण बताया है, लेकिन उनके इस्तीफे के पीछे कुछ कारण जरूर रहे होंगे.'

आरबीआई और सरकार के बीच संबंध हो गए थे खराब

सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच संबंध अक्टूबर में तब फिर से खराब हो गए थे, जब आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने लोगों को संबोधित करते हुए रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि इस बाबत किसी भी प्रकार का समझौता अर्थव्यवस्था के लिए 'संभावित विनाश' का कारण बन सकता है.

सरकार ने वित्त मंत्रालय की ओर से इसका जवाब दिया और आरबीआई (RBI) अधिनियम की धारा 7 के तहत (जिसका इस्तेमाल पहले कभी नहीं हुआ था) केंद्रीय बैंक से विचार-विमर्श करने का प्रस्ताव रखा. यह धारा सरकार को आरबीआई (RBI) गवर्नर को दिशा-निर्देश देने का अधिकार देती है. इसके बाद गवर्नर ने बैंक बोर्ड की बैठक बुलाई थी.

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किन मुद्दों पर सरकार और आरबीआई के बीच था मतभेद

सरकार का आरबीआई (RBI) के साथ चार मुद्दों पर मतभेद था. सरकार क्रेडिट फ्रीज के किसी भी खतरे को दूर करने के लिए नकदी समर्थन चाहती है. दूसरा ऋणदाताओं के लिए पूंजी जरूरतों में छूट, तीसरा गैर निष्पादित संपत्ति या खराब ऋण से जूझ रहे बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों में छूट और चौथा सूक्ष्म, छोटे व मझौले उद्योग को समर्थन है.

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