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लोकसभा चुनाव

अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ है मोदी सरकार के पास पर्याप्त बहुमत

टीडीपी के एनडीए से अलग हो जाने पर भी लोकसभा में बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है।

Updated on: 16 Mar 2018, 09:09 PM

नई दिल्ली:

तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग हो जाने पर भी लोकसभा में बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है। उसे करीब 315 सदस्यों का समर्थन हासिल है और खुद उसके पास जरूरी 270 सीटों से चार सीट ज्यादा यानी 274 सीटें हैं।

हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए उप चुनावों में हारने के बाद संसद के ऊपरी सदन में बीजेपी के 274 सदस्य हैं। इसके सहयोगी दलों के 41 सदस्यों को मिला दिया जाए तो यह संख्या 315 पर पहुंच जाती है।

इसमें शिवसेना (18) को भी शामिल किया गया है, जिसने अभी तक खुलासा नहीं किया है कि अविश्वास प्रस्ताव पर उसका क्या रुख होगा। हाल के दिनों में शिवसेना और भाजपा के बीच संबंधों में खटास उभरकर सामने आई है।

एनडीए के सहयोगियों में लोक जनशक्ति पार्टी (6), अकाली दल (4), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (3), अपना दल (2), जनता दल-युनाइटेड (2) और ऑल इंडिया एन.आर. कांग्रेस (एआईएनआरसी), जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जेकेपीडीपी), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), पटाल्ली मक्कल काची (पीएमके), सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के एक-एक सांसद शामिल हैं।

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एआईएडीएमके जिसने 2014 में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन आम तौर पर इसे केंद्र सरकार का सहयोगी माना जाता है, के पास 37 सांसद हैं।

एनडीए से अलग होने वाले और इसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रहे तेदेपा के लोकसभा में 16 सांसद हैं, जबकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में नौ सांसद हैं। इसने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया।

यह देखना दिलचस्प होगा कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस क्या इसी तर्ज पर मतदान करेंगे।

कमोबेश यही स्थिति तमिलनाडु में बीजेपी के सहयोगी पीएमके की है, जो कावेरी मुद्दे पर नदी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किए जाने से मोदी सरकार से नाराज चल रही है।

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