JNU छात्रों का यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रो जोहरी के निलंबन की मांग पर प्रदर्शन जारी, पुलिस के साथ झड़प
जेएनयू में छात्राओं के साथ कथित यौन उत्पीड़िन के आरोपी प्रोफेसर अतुल जोहरी के निलंबन और नए अनिवार्य अटेंडेंस नियम के खिलाफ सोमवार को भी छात्रों का प्रदर्शन जारी है।
highlights
- प्रोफेसर अतुल जोहरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप में एफआईआर दर्ज
- छात्रों ने ट्विटर पर #suspendJohri और #arrestJohri कैम्पेन शुरू किया
- छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर जांच में देरी का भी आरोप लगाया
नई दिल्ली:
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्राओं के साथ कथित यौन उत्पीड़िन के आरोपी प्रोफेसर अतुल जोहरी के निलंबन और नए अनिवार्य अटेंडेंस नियम के खिलाफ सोमवार को भी छात्रों का प्रदर्शन जारी है।
प्रोफेसर की जांच में हो रही देरी के कारण सोमवार देर शाम वसंतकुंज थाने के सामने प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शन कर रहे जेएनयू छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।
इस मामले पर दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीसीपी मिलिंद दुम्बरे ने कहा, 'मामले को कानून के अनुसार हल किया जा रहा है। यौन उत्पीड़न के आरोपी जेएनयू प्रोफेसर को नोटिस भेजकर जांच में सहयोग देने के लिए मंगलवार को बुलाया गया है।'
बता दें कि जेएनयू के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस (एसएलएस) की नौ छात्राओं ने प्रोफेसर अतुल जोहरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया था।
प्रोफेसर के निलंबन की मांग को लेकर जेएनयू के छात्र पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और ट्विटर पर #suspendJohri और #arrestJohri कैम्पेन शुरू कर दिया है।
छात्र-छात्राओं का आरोप है कि पुलिस जेएनयू प्रशासन के दवाब में प्रोफेसर पर कार्रवाई करने में देरी कर रही है।
इस मामले में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे ने सोमवार को अपना विरोध दर्ज कराते हुए ट्वीट किया, 'क्या हम ये कह सकते हैं कि यौन हिंसा जैसे मामलों में सत्ता के करीबी लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं होगी? अतुल जोहरी केस को देखकर तो यही लगता है।'
वहीं एसएलएस विभाग में कार्यरत आरोपी प्रोफेसर ने कहा था कि वह विश्वविद्यालय प्रशासन की 'अनिवार्य अटेंडेंस' पॉलिसी के समर्थक हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के छात्र दिसंबर 2017 में लागू हुए अनिवार्य अटेंडेंस के खिलाफ भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने विरोध जताते हुए अटेंडेंस शीट पर साइन करने से इंकार कर दिया है।
इससे पहले 18 मार्च को छात्रों के विरोध प्रदर्शन में विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसर भी उनके साथ आए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के अंदर अकादमिक और रिसर्च कार्यों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
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