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BRD मेडिकल कॉलेज हादसा: डॉ कफील खां जेल से आए बाहर, कहा- हिंदुस्तानी होने के नाते सबकुछ किया

गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पिछले साल अगस्त में 70 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद डॉक्टर कफील खां शनिवार को जेल से बाहर आ गए।

Updated on: 29 Apr 2018, 09:22 AM

highlights

  • 25 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट से डॉ कफील को मिली थी जमानत
  • डॉ कफील फिर से अस्पताल में काम करना चाहते हैं
  • अगस्त 2017 में एक सप्ताह में हुई थी 70 से अधिक बच्चों की मौत

गोरखपुर:

गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पिछले साल अगस्त में 70 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद डॉक्टर कफील खां शनिवार को जेल से बाहर आ गए।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक मुख्य अधिकारी के रूप में काम कर रहे डॉ कफील को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते बुधवार को जमानत दी थी। वे पिछले आठ महीने से जेल में बंद थे।

जेल से बाहर आने पर कफील खां ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनका निलंबन वापस कर देते हैं तो वे फिर से अस्पताल में काम करना चाहते हैं और लोगों की सेवा करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि आठ महीने बाद परिवार के साथ लौटकर तनाव मुक्त हुआ हूं, हालांकि वह मानसिक रूप से थके हुए हैं, भावनात्मक रूप से खाली और शारीरिक रूप से कमजोर हो गए।

डॉ कफील ने कहा, 'उस दिन मैंने जो भी किया वो एक पिता, डॉक्टर और एक सच्चे हिंदुस्तानी करता। मेरा काम वहां बच्चों का इलाज करना था, मैंने लिक्विड ऑक्सीजन खत्म होने के बाद ऑक्सीजन सिलिंडर को लाने का अतिरिक्त काम किया था।'

कफील खां से जब पूछा गया कि उस हादसे का जिम्मेदार कौन था, इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'मैंन अपने पत्र में लिखा था।' डॉ कफील ने जेल से एक पत्र लिखा था जिसे उनकी पत्नी ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में सार्वजनिक किया था।

उन्होंने पत्र में लिखा था कि फंड जारी नहीं होने के कारण अस्पताल के ऑक्सीजन सप्लायर को भुगतान नहीं किया गया था।

बता दें कि अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में एक सप्ताह में 70 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। बच्चों की मौत का मुख्य कारण अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं होने को बताया गया था।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को मानने से इंकार किया था।

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सरकार की एक समिति ने 23 अगस्त 2017 को रिपोर्ट जमा कर अस्पताल के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा, डॉ सतीश, एईएस वार्ड के इंचार्ज डॉ कफील और पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने को कहा था।

24 अगस्त को राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला, कफील खां और पुष्पा सेल्स के अधिकारियों सहित 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

जिसके बाद 2 सितंबर 2017 को डॉ कफील को गिरफ्तार किया गया था और साथ ही अस्पताल में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था।

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