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कांग्रेस ने की बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग, बताया-समय की जरूरत

पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की खराब हालत का हवाला देते हुए कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है।

Updated on: 24 Apr 2018, 02:15 PM

highlights

  • पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की खराब हालत का हवाला देते हुए कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है
  • पंचायत चुनाव को लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य दलों के निशाने पर हैं

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की खराब हालत का हवाला देते हुए कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है।

पंचायत चुनाव को लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य दलों के निशाने पर हैं।

बंगाल कांग्रेस प्रेसिडेंट अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'मैं पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग करता हूं।'

पंचायत चुनाव के पहले जारी हिंसा और झड़प की स्थिति को लेकर उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति शासन लगाए बिना बंगाल में किसी व्यक्ति के लिए उसके लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करना संभव नहीं है। यह समय की जरूरत है।'

गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी ने पंचायत चुनाव के बारे में राज्य सरकार को जरूरी दिशानिर्देशों की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बीजेपी को राज्य चुनाव आयोग जाने की सलाह देते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल देने से इनकार कर दिया था।

इस बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी को तगड़ा झटका देते हुए राज्य चुनाव आयोग को पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव की तारीखों को बदलने का निर्देश दिया है।

जस्टिस सुब्रत तालुकदार ने बीजेपी, सीपीएम और दूसरे विपक्षी दलों की तरफ से दायर याचिकाओं पर हुई सुनवाई के मद्देनज़र पोल पैनल को कहा कि नामांकन दाखिल करने के लिये नई अधिसूचना जारी करे।

कोर्ट ने कहा आयोग को कहा कि वो पंचायत चुनावों की तारीख और कार्यक्रम को फिर से तय करे और उसके अनुसार ही चुनाव कराए।

बंगाल में पंचायत चुनाव 1 मई से 5 मई के बीच तीन चरणों में होने हैं और परिणामों की घोषणा 8 मई को होनी है।

नामांकन की प्रक्रिया 9 अप्रैल को पूरी हो गई थी लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे एक दिन के लिये बढ़ा दिया था। विपक्षी दलों का आरोप था कि उनके उम्मीदवारों को नामांकन नहीं भरने दिया जा रहा है।

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