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शिक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार का बड़ा कदम, क्या UGC, AICTE की जगह लेगा 'HEERA'

मोदी सरकार यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) को ख़त्म कर उनकी जगह एक हायर एजुकेशन रेग्युलेटर बनाने की तैयारी में है। इसका नाम संभवत HEERA होगा।

Updated on: 06 Jun 2017, 10:16 AM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार के रिफॉर्म्स लिस्ट में अगल नंबर है शिक्षा क्षेत्र का। इसके लिए सरकार ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) को ख़त्म कर उनकी जगह एक हायर एजुकेशन रेग्युलेटर बनाने की तैयारी में है जिसका नाम संभवत हायर एजुकेशन एंपावरमेंट रेग्युलेशन एजेंसी होगा। 

इसकी मांग पहले से ही की जा रही थी लेकिन इस पर अभी तक कोई योजना नहीं बन पाई थी। अब सरकार इस दिशा में काम करने की तैयारी में है। इस संबंध में मार्च महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई जिसमें इस पर सहमति बनी है।

इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि HEERA कानून को तैयार करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। मानव संसाधन मंत्रालय और नीति आयोग नए कानून पर काम कर रहे हैं।

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नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और हायर एजुकेशन सेक्रटरी के.के. शर्मा के अलावा कुछ अन्य विशेषज्ञों की एक कमेटी भी इस पर काम कर रही है।

उनका कहना था कि UGC और AICTE की जगह एक सिंगल रेग्युलेटर लाना एक बड़ा सुधार होगा। इससे अधिकार क्षेत्र से जुड़ी सभी कमियां दूर होगी और इसके साथ ही ऐसे रेग्युलेटरी प्रोविजंस भी समाप्त करने होंगे जिनकी अब जरूरत नहीं है।

हालांकि हायर एजुकेशन में कई रेग्युलेटरी अथॉरिटीज की जगह एक रेग्युलेटर लाने का विचार नया नहीं है। यूपीए की पिछली सरकार में यशपाल कमेटी और नेशनल नॉलेज कमिशन के अलावा मौजूदा सरकार की ओर से बनाई गई हरि गौतम कमेटी ने भी इसकी सिफारिश की थी।

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अधिकारियों ने बताया है कि नया रेग्युलेटरी कानून संक्षिप्त हो सकता है और इसमें परिणामों पर ध्यान देने वाले न्यूनतम मानकों को दिया जाएगा। इसके साथ ही उनका कहना था कि टेक्निकल और नॉन-टेक्निकल एजुकेशन को अलग करने का चलन अब पुराना हो गया है। एक रेग्युलेटर होने से इंस्टिट्यूशंस के बीच तालमेल बेहतर होगा।

इस नए कानून को लाने में और मौजूदा AICTE और UGC ऐक्ट को ख़त्म करने में समय लग सकता है इसीलिए सरकार अंतरिम उपाय के तौर पर इन एक्ट्स में संशोधन के बारे में विचार कर रही है।

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