सरोगेसी के लिए राज्यसभा में उठी ‘निकट रिश्तेदार के प्रावधान को स्पष्ट करने की मांग
सरोगेसी चर्चा: उच्च सदन में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की डॉ अमी याज्ञिक ने कहा कि विधेयक में कई खामियां हैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है.
नई दिल्ली:
किराए की कोख (सरोगेसी) की प्रक्रिया के नियमन के उद्देश्य से लाए गए एक विधेयक पर राज्यसभा में ज्यादातर सदस्यों ने सरोगेसी के लिए‘‘निकट रिश्तेदार’’ वाले प्रावधान को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने तथा इच्छुक दंपती की पांच साल के वैवाहिक जीवन की शर्त की अवधि को कम करने का सुझाव दिया. उच्च सदन में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की डॉ अमी याज्ञिक ने कहा कि विधेयक में कई खामियां हैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है.
‘किराए की कोख’ शब्द के उपयोग पर आपत्ति
उन्होंने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग भी की. ‘किराए की कोख’ शब्द के उपयोग पर आपत्ति जताते हुए डॉ अमी ने कहा कि सीधे तौर पर मानव जीवन से जुड़े इस विधेयक में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने बांझपन की भी स्पष्ट व्याख्या किए जाने की मांग की. डॉ अमी ने यह भी कहा ‘‘विधेयक में सरोगेट मां को प्रतिपूर्ति दिए जाने की बात कही गई है. इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए. ऐसा भी होता है कि सरोगेसी के लिए महिला के गर्भ धारण करने के बाद दंपती का इरादा बदल जाता है और वे महिला को गर्भपात कराने के लिए कहते हैं. ऐसी स्थिति के लिए विधेयक में प्रावधान नहीं किए गए हैं.
दो प्रमाणपत्रों की अनिवार्यता की शर्त नहीं
उन्होंने कहा कि पूरे विधेयक के केंद्र में बच्चा कहीं भी नहीं है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि जिन दंपतियों के निकटतम संबंधी नहीं होंगे, वे सरोगेसी के लिए क्या करेंगे? उन्होंने निकटतम संबंधी की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग करते हुए यह भी कहा कि विवाहित दंपती के लिए प्रजनन संबंधी खामी होने पर सरोगेसी के लिए पांच साल के इंतजार और दो प्रमाणपत्रों की अनिवार्यता की शर्त नहीं होनी चाहिए.
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डॉ अमी ने विधेयक पर जल्दबाजी नहीं करने की मांग करते हुए कहा ‘‘सरकार को एक व्यापक विधेयक लाना चाहिए जिसमें तमाम पहलुओं की स्पष्ट व्याख्या हो और साथ ही वर्तमान विधेयक की तरह खामियां भी न हों.’’ चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी ने कहा कि विधेयक में बांझपन की परिभाषा स्पष्ट की जानी चाहिए क्योंकि बांझपन के कई कारण होते हैं.
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चिकित्सा संबंधी विभिन्न पहलुओं की स्पष्ट व्याख्या इसलिए जरूरी है क्योंकि यह विधेयक स्पष्ट रूप से किराये की कोख की बात करता है. उन्होंने कहा कि सरोगेट मां की सरोगेसी से पहले और बाद की स्थिति के बारे में भी विधेयक में स्पष्टता जरूरी है. राजद के मनोज झा ने कहा कि इस विधेयक को नैतिकता के मुद्दे से जोड़ा गया है जबकि यह चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि विधेयक में केवल नजदीकी रिश्तेदार को सरोगेट माता बनाने का प्रावधान रखा गया है. उन्होंने कहा कि नजदीकी रिश्तेदार की परिभाषा को स्पष्ट किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भ्रम रहने से कई कठिनाइयां आएंगी.
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