अगले साल लगेगा और झटका, प्राइवेट अस्पतालों में महंगा हो सकता है इलाज
देश में पेट्रोल-डीजल, एलपीजी सिलेंडर से लेकर रसोई की चीजों के बढ़ती कीमत के बाद अब अगले साल की शुरुआत में इलाज कराना भी जेब पर भारी पड़ सकता है. खबर है कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों के इलाज पर लगने वाले फीस समेत तमाम खर्च बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.
highlights
- मेडिकल ट्रीटमेंट पैकेज दरों में बदलाव वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत तक
- अपोलो और फोर्टिस समेत प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों ने बढ़ती लागत का दिया हवाला
- ट्रीटमेंट पैकेज दरों को 5 से 10 फीसदी बढ़ाने का इरादा किया गया है
New Delhi:
देश में पेट्रोल-डीजल, एलपीजी सिलेंडर से लेकर रसोई की चीजों के बढ़ती कीमत के बाद अब अगले साल की शुरुआत में इलाज कराना भी जेब पर भारी पड़ सकता है. खबर है कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों के इलाज पर लगने वाले फीस समेत तमाम खर्च बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. अगले साल से मेडिकल ट्रीटमेंट अधिक महंगा हो सकता है. अपोलो और फोर्टिस समेत देश के कई प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों ने बढ़ती लागत का हवाला देते हुए ट्रीटमेंट पैकेज दरों को 5 से 10 फीसदी बढ़ाने का इरादा किया है. इस महंगाई का पहला सामना खासकर अस्पताल में नकद भुगतान करने वाले मरीजों को करना पड़ेगा.
ईटी पर छपी खबर के मुताबिक मेडिकल ट्रीटमेंट पैकेज दरों में नया बदलाव वित्तीय वर्ष 2021-22 के आखिर होने की चर्चा है. फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रवक्ता के मुताबिक वे महत्वपूर्ण ओवरहेड्स यानी किसी कंपनी के बंधे खर्चे जैसे लाइट, रेंट वगैरह पर होने वाले नियमित खर्च के साथ एक बड़ी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल चेन हैं और 2019 के बाद कोरोनावायरस महामारी की वजह से बढ़ते मैनपावर और दूसरे लागतों से प्रभावित होने के बावजूद समान दरों पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इसलिए हालात की समीक्षा कर रहे हैं और सही समय पर पैकेज टैरिफ सुधार के बारे में फैसला करेंगे.
कोरोना महामारी के बाद बिजनेस रिकवरी में देरी
अपोलो और फोर्टिस दोनों अभी भी पूर्व-महामारी के स्तर तक पूर्ण बिजनेस रिकवरी से पांच या छह फीसदी दूर हैं. फोर्टिस हेल्थकेयर की तरह ही अपोलो हॉस्पिटल्स ने भी बताया कि वह कीमतें बढ़ाने के विकल्प के बारे में विचार कर रहा है. अपोलो हॉस्पिटल्स के समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी कृष्णन अखिलेश्वरन ने कहा कि स्वच्छता, उपभोग की सामग्रियों, मानव संसाधन और सामान्य मुद्रास्फीति की लागत हमारे लाभ को खा रही है. हमें लागत को पार करना होगा और ट्रीटमेंट रेट को बढ़ाना होगा. कृष्णन ने कहा कि 5 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि आम तौर पर आदर्श है, मगर इस बार यह थोड़ी अधिक हो सकती है.
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कोलकाता स्थित मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के प्रमुख और फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष आलोक रॉय ने कहा कि पैकेज दरों में वृद्धि अनिवार्य है, हालांकि यह कितनी होगी, यह अस्पतालों पर निर्भर करती है. कई बड़ी लिस्टेड हॉस्पिटल चेन के एग्जिक्यूटिव ने भी बताया कि वह भी पैकेज रेट्स में बदलाव पर सक्रियता से विचार कर रहा है.
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