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बचपन के मोटापे से परेशान? ये तरीके रखेंगे बच्चों को हेल्दी

बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. इसमें बच्चे का वजन उसकी उम्र और ऊंचाई के लिहाज से काफी ज्यादा हो जाता है, जिससे वह जटिल समस्याओं की चपेट में आ सकता है.

Updated on: 06 Mar 2024, 07:10 PM

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बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. इसमें बच्चे का वजन उसकी उम्र और ऊंचाई के लिहाज से काफी ज्यादा हो जाता है, जिससे वह जटिल समस्याओं की चपेट में आ सकता है. बचपनीय मोटापा के कुछ मुख्य कारण होते हैं, जैसे अत्यधिक खानपान, कम शारीरिक गतिविधि, और अधिक स्क्रीन टाइम. मालूम हो कि, बचपन का मोटापा डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और मस्तिष्क संबंधित समस्याओं का कारक बन सकता है. इसे समय रहते नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और स्क्रीन समय को कम करने जैसे तमाम उपाय शामिल हैं. चलिए इस बचपनीय मोटापे से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं...

ये होती हैं मुख्य वजह...

1. आनुवंशिकी: कुछ बच्चों में मोटापे का खतरा अधिक होता है. उनके माता-पिता या भाई-बहन मोटे हैं.
2. आहार: जो बच्चे अस्वास्थ्यकर भोजन खाते हैं, जैसे कि जंक फूड और मीठे पेय, उनमें मोटापे का खतरा अधिक होता है.
3. शारीरिक गतिविधि: जो बच्चे पर्याप्त व्यायाम नहीं करते हैं उनमें मोटापे का खतरा अधिक होता है.
4. पर्यावरणीय कारक: कुछ बच्चे ऐसे वातावरण में रहते हैं जो मोटापे को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि ऐसे क्षेत्रों में जहां स्वस्थ भोजन तक पहुंच सीमित है या जहां व्यायाम करना सुरक्षित नहीं है.

इन स्वास्थ्य जोखिमों से सावधान...

1. टाइप 2 मधुमेह: मोटे बच्चों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
2. उच्च रक्तचाप: मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
3. उच्च कोलेस्ट्रॉल: मोटे बच्चों में उच्च कोलेस्ट्रॉल विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
4. सांस लेने में तकलीफ: मोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जैसे कि स्लीप एपनिया.
5. गठिया: मोटे बच्चों में गठिया विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
6. अवसाद: मोटे बच्चों में अवसाद विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
7. कम आत्मसम्मान: मोटे बच्चों में कम आत्मसम्मान विकसित होने का खतरा अधिक होता है.

ये है बेहतर इलाज...

1. स्वस्थ आहार खाना: एक स्वस्थ आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन शामिल होना चाहिए.
2. नियमित रूप से व्यायाम करना: बच्चों को हर दिन कम से कम 60 मिनट व्यायाम करना चाहिए.
3. पर्याप्त नींद लेना: बच्चों को हर रात 9-11 घंटे की नींद लेनी चाहिए.