Low Calorie के नाम पर कैंसर को बुलावा दे रहे आप? जानिए WHO की स्टडी पर क्या कहतें है जानकार
साधारण डिंक्र के मुकाबले आर्टिफिशियल शुगर कंटेंट का उपयोग ज्यादा हो रहा है. इसके सेवन से कैंसर को बढ़ावा मिल रहा है.
highlights
- आर्टिफिशियल स्वीटनर कैंसर कारक हो सकते हैं
- ब्लड कैंसर, ब्रेन ड्यूमर और पेट के कैंसर वाले केस
- साधारण मीठे की अपेक्षा 200 गुणा मिठास ज्यादा होती
नई दिल्ली:
वैसे तो फास्टफूड सेहत के लिए हमेशा से ही नुकसानदायक रहे हैं, लेकिन फिर भी आजकल के बिजी लाइफस्टाल में इससे बचे रहना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में हम ना चाहते हुए भी कभी-कभी इसे अपना ही लेते हैं. कुछ लोगों की तो कोशिश रहती है कि फास्टफूड में थोड़ा कॉन्शियस रहा जाए. ऐसे लोग लो कैलोरी शुगर वाले कंटेंट का यूज करते हैं. जिसमें आर्टिफिशियल स्वीटनर होता है. जैसे आपने देखा होगा कि कुछ लोग डाइट कोक आदि का सेवन करते हैं. इन ड्रिंक्स को बनाने वाली कंपनियां दावा करती हैं कि इनमें साधारण ड्रिंक के मुकाबले शुगर कंटेंट कम होता है.
वहीं कुछ लोग अपने फेस को अच्छी शेप देने के लिए च्विइंग गम चबाने का शौक रखते हैं, इस लिस्ट में क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी शामिल हैं. वहीं मीठे के कुछ शौकीन लोग आईसक्रीम के नाम पर फ्रोजन डेजर्ट का लुत्फ उठाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें इस्तेमाल होने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर कैंसर कारक हो सकते हैं? जी हां वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ताजा रिसर्च कुछ इसी तरफ इशारा करती है.
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दावे ने लोगों की चिंता जरूर बढ़ा दी है
हाल ही में हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि WHO की कैंसर रिसर्च विंग, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर यानी IARC इस महीने तक एस्पार्टेम नाम के कैमिकल के इस्तेमाल को कैंसर बढ़ाने वाला घोषित कर सकती है. बता दें कि एस्पार्टेम का इस्तेमाल खाने-पीने से जुड़ी चीजें बनाने वाली कंपनियां चीनी की जगह यूज किए जाने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर में करती हैं. अब नई रिसर्च में बताया गया है कि इसमें ऐसा एलिमेंट है जो कैंसर की बीमारी देने की ताकत रखता है, वैसे तो अभी इस पर और रिसर्च होना बाकी है लेकिन दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य संगठन के इस दावे ने लोगों की चिंता जरूर बढ़ा दी है. हमने इस पर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ अंशुमान कुमार से बात की.
डॉ कुमार का कहना है कि इससे पहले भी ऐसी स्टडी हो चुकी है जिनमें आर्टिफिशियल स्वीटनर की वजह से लोगों में कैंसर के मामले देखे गए थे. उन्होंने बताया कि फ्रांस ने भी ऐसी स्टडी की थी जिसमें आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करने वाले 1 लाख से ज्यादा लोगों शामिल थे. लेकिन जब इस स्टडी के नतीजे आए तो वो काफी चौंकाने वाले थे, उन्होंने बताया कि स्टडी में ये पाया गया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करने वाले लोगों में कैंसर के मामले बढ़े हैं, खासतौर पर ब्लड कैंसर, ब्रेन ड्यूमर और पेट के कैंसर वाले केस.
रोजमर्रा की डाइट में इस्तेमाल कर रहे
अब आपको बताते हैं कि भारत में लोग किस तरह से आर्टिफिशल स्वीटनर को अपनी रोजमर्रा की डाइट में इस्तेमाल कर रहे हैं. दरअसल हमारे देश में कुछ हेल्थ कॉन्शियस लोग अधूरी जानकारी का शिकार हो जाते हैं. यही वजह है कि वे लोग लो कैलोरी के नाम पर कुछ भी अपने शरीर में ग्रहण कर लेते हैं. डॉ अंशुमान ने हमें बेहद सरल तरीके से समझाया कि कैसे हमारे देश में लोग लो कैलोरी के नाम पर कैंसर कारक पदार्थों को ग्रहण कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने हमें ये भी बताया कि कैसे पता चले कि आर्टिफिशिय स्वीटनर में डाले गए कौन से पदार्थ हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं.
देसी शक्कर और गुड़ का इस्तेमाल
अब ऐसे में बड़ा सवाल है कि हेल्थ कॉन्शियस लोग फिट रहने के लिए भला कौन सी चीजों का इस्तेमाल करें, जिससे उनका मीठे का स्वाद भी बना रहे और जिसमें कैलोरी भी कम हो. इसका जवाब देते हुए डॉ अंशुमान ने बताया कि हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए. इसका जवाब देते हुए डॉ अंशुमान ने बताया कि भारतीय परंपरा में मीठे के लिए अगर में देसी शक्कर और गुड़ का थोड़ी मात्रा में इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा.
जाने-अनजाने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को न्योता दे रहे
बता दें कि IARC यानी इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर' के मुताबिक आप कितनी मात्रा में एस्पार्टेम से भरपूर चीजों का सेवन कर रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर आप थोड़ी मात्रा में भी आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले इन प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप अपनी लाइफ को खतरे में डाल रहे हैं. स्टडी के मुताबिक सेहत के लिए एस्पार्टेम का इस्तेमाल इसलिए भी खतरनाक हैं, क्योंकि इसमें साधारण मीठे (चीनी) की अपेक्षा 200 गुणा मिठास ज्यादा होती है. ऐसे में अगर आप कोल्ड ड्रिंक (डाइट कोल्ड ड्रिंक्स) आदि का सेवन करते हैं, तो इससे आप जाने-अनजाने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को न्योता दे रहे हैं. यही वजह है कि में एस्पार्टेम से होने वाले बुरे इफैक्ट्स को देखते हुए IARC 14 जुलाई को इसे आधिकारिक रूप से कार्सिनोजेन यानी कैंसर को बढ़ावा देने वाला उत्पाद घोषित करने वाली है.
रिपोर्टः (नवीन)
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