नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्ममेकर Kumar Shahani का हुआ निधन, 83 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्ममेकर Kumar Shahani का हुआ निधन, 83 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
New Delhi:
Kumar Shahani Passes Away: 'चार अध्याय' और 'कस्बा' जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक कुमार शाहनी का 24 फरवरी को कोलकाता में निधन हो गया है. उन्हें कोलकाता के ढाकुरिया स्थित एएमआरआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उनकी मृत्यु हो गई. इस खबर की पुष्टि अभिनेता मीता वशिष्ठ ने की, जिन्होंने निर्देशक के साथ 'वार वार वारी', 'ख्याल गाथा' और 'कस्बा' जैसी फिल्मों के लिए काम किया था.
मीडिया से बात करते हुए मीता वशिष्ठ ने कहा, "कोलकाता के एक अस्पताल में उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कल रात करीब 11 बजे उनका निधन हो गया. वह बीमार थे और उनका स्वास्थ्य गिर रहा था. यह एक गहरी व्यक्तिगत क्षति है. हम उनके परिवार के कॉन्टैक्ट में थे. कुमार और मैं खूब बातें करते थे और मुझे पता था कि वह बीमार हैं और अस्पताल आते-जाते रहते हैं."
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उन्होंने यह भी कहा, “मैं एक इंसान और एक फिल्म निर्माता के रूप में उनकी प्रशंसा करती हूं. वह हमारे देश के महानतम निर्देशकों में से एक थे. समाज, कला, सिनेमा के प्रति उनकी निष्ठा और चेतना अद्वितीय थी. उनकी फिल्में इंस्पायरिंग थीं.”
उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर शाहनी के बारे में एक पोस्ट भी शेयर किया. अपने वीडियो कॉल की एक तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन दिया, "प्रिय कुमार...अब से आप जहां भी हों...देखिए, आकाश में खिड़की खुली रहती है."
कौन हैं कुमार शाहनी?
कुमार शाहनी का जन्म 7 दिसंबर 1940 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना में हुआ था. लेकिन बाद में वह अपने परिवार के साथ मुंबई चले गए. कुमार शाहनी ने निर्मल वर्मा की कहानी पर 'माया दर्पण' बनाई थी. इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में नेशनल फिल्म अवार्ड मिला. उनकी पॉपुलर फिल्मों में 'तरंग', 'ख्याल गाथा', 'कस्बा' और 'चार अध्याय' शामिल हैं. कुमार शाहनी ने अलग-अलग समय में एक नहीं बल्कि 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किए. उन्होंने 1973 में 'माया दर्पण', 1990 में 'ख्याल गाथा' और 1991 में 'कस्बा' फिल्मों के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीते.
फिल्म मेकर की पर्सनल लाइफ
शाहनी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं. आज, 25 फरवरी को उनका अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें भारत के समानांतर सिनेमा में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है.
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