वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवारी को लेकर तेज बहादुर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, आज सुनवाई
निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यादव प्रमाण पत्र पेश करने में असफल रहे क्योंकि जनप्रतिनिधि (RP) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना जरूरी था
नई दिल्ली:
सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त हुए जवान तेज बहादुर यादव ने अपना नामांकन पत्र खारिज करने वाले निर्वाचन अधिकारी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. आपको बता दें कि महागठबंधन की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए गए बर्खास्त जवान तेज बहादुर का नामांकन चुनाव अधिकारी ने एक मई को रद्द कर दिया था. तेज बहादुर ने कहा उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत सुनिश्चित करने की मंशा से उनका नामांकन पत्र रद्द किया गया. अब तेज बहादुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा और साथ में यह भी तय करेगा कि वो इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं या नहीं.
समाजवादी पार्टी ने शुरू में वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन बाद में उसने प्रत्याशी बदल कर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया. जिसके बाद एक मई को चुनाव आयोग ने यादव का नामांकन रद्द कर दिया. वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी (RO) ने यादव के द्वारा दाखिल किए गए दो नामांकन सेटों में विसंगति को लेकर नोटिस जारी किया. दरअसल तेज बहादुर यादव ने 24 अप्रैल को दाखिल दस्तावेजों में कहा था कि उन्हें सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त किया गया है. हालांकि, 29 अप्रैल को सपा उम्मीदवार के तौर पर दाखिल दूसरे सेट में इस सूचना को हटा लिया गया था. इसके अलावा यादव को सीमा सुरक्षा बल से अनापत्ति प्रमाण (NOC) भी जमा करना था, जिसमें बर्खास्तगी के कारण बताए जाने थे.
वहीं निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यादव प्रमाण पत्र पेश करने में असफल रहे क्योंकि जनप्रतिनिधि (RP) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना जरूरी था कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है. यादव ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को खारिज किया जाए और शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता को हाई प्रोफाइल वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति दे. आपको बता दें कि वाराणसी में अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है. याचिका में आयोग के फैसले को भेदभावपूर्ण और अतार्किक बताते हुए इसे रद्द किए जाने की मांग की गई है.
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