हर चुनाव में कांग्रेस चलती है ये बड़ा दाव, जानें कब-कब रही सफल
2004 के आम चुनाव के बाद से कांग्रेस अमूमन हर चुनाव में कर्जमाफी का दांव चलती है. उस आम चुनाव में यह दांव काफी सफल रहा था और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को जाना पड़ा था.
नई दिल्ली:
2004 के आम चुनाव के बाद से कांग्रेस अमूमन हर चुनाव में कर्जमाफी का दांव चलती है. उस आम चुनाव में यह दांव काफी सफल रहा था और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को जाना पड़ा था. उसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकार ने किसानों के 70 हजार करोड़ रुपये माफ किए थे. उसी का परिणाम था कि अगले आम चुनाव यानी 2009 में भी यूपीए की दोबारा सरकार बनी. हालांकि 2014 में यूपीए सरकार को मुंह की खानी पड़ी और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनी. 2014 के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यह मुद्दा बनाया, लेकिन कहीं उसे सफलता नहीं मिली. अब आगामी विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने कर्जमाफी को मुद्दा बनाया है. देखना यह है कि पार्टी को सफलता मिलती है या नहीं.
केंद्र में राजग सरकार बनने के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गोवा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए. लगभग सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्जमाफी को मुद्दा बनाया, लेकिन इनमें से पंजाब को छोड़कर किसी भी राज्य में सरकार बनाना तो दूर, पार्टी को बुरी तरह मात खानी पड़ी.
महाराष्ट्र में तो कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की ही सरकार थी, जो विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता से बाहर हो गई और देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व में भाजपा-शिवसेना की सरकार बनी. किसान आंदोलन और कांग्रेस के दबाव में फड़नवीस सरकार ने भी कर्जमाफी का ऐलान किया था. पंजाब में सरकार बनने के बाद कांग्रेस की अमरिंदर सिंह सरकार ने आंशिक कर्जमाफी की घोषणा की थी. कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला तो उसने कुमारस्वामी को समर्थन देकर सरकार बनवाई. कुमारस्वामी सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक में ही इस बाबत घोषणा कर दी गई.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें कर्जमाफी का बड़े जोर-शोर से प्रचार-प्रसार और दावे-वादे किए गए थे. भाजपा ने भी कर्जमाफी की घोषणा की थी. लोगों ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को नकारकर भाजपा को चुना. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनने वाली सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट की बैठक में कर्जमाफी की घोषणा तो की, लेकिन तय हुआ कि एक लाख रुपये तक के ही कर्ज माफ किए गए. चुनाव को देखते हुए इसी साल राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने भी किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा की थी.
अब आगामी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर्जमाफी की हथियार बनाते दिख रहे हैं. मध्य प्रदेश और राजस्थान में पिछले दिनों हुई रैली में राहुल गांधी ने कर्जमाफी को लेकर तमाम दावे और वादे किए. अब देखना यह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जनता कर्जमाफी के वादे पर विश्वास करती है या नहीं.
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