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लोकसभा चुनाव

मऊ : चारों सीटों पर नहीं जीतीं महिला प्रत्याशी, क्या बदलेगा इतिहास

मऊ जिले के इतिहास में चारों विधानसभा मऊ सदर, घोसी, मधुबन और मुहम्मदाबाद गोहना से 1952 से लेकर आज तक कभी कोई महिला विधायक नहीं चुनी गईं. जिले की इकलौती लोकसभा सीट घोसी से भी कोई महिला सांसद आज तक नहीं चुनी गईं.

Updated on: 04 Mar 2022, 02:31 PM

highlights

  • लोकसभा सीट घोसी से भी कोई महिला सांसद आज तक नहीं चुनी गईं
  • मऊ ऐसा जिला है, जहां अब तक एक भी महिला विधायक नहीं बनी हैं
  • यूपी चुनाव में सातवें और आखिरी चरण के लिए सात मार्च को मतदान

मऊ :

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) अपने आखिरी चरण की ओर बढ़ चुका है. सातवें और आखिरी चरण के लिए सात मार्च को मतदान होने वाला है. वहीं 10 मार्च को मतगणना होगी और नतीजे सामने आएंगे. विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान के बीच महिला प्रतिनिधित्व को लेकर दिलचस्प खबर सामने आई है. यूपी में महिला विधायकों की संख्या भले ही बढ़ती दिख रही हो, मगर प्रदेश का एक जिला ऐसा है, जहां अब तक एक भी महिला विधायक नहीं बनी हैं.

मऊ जिले के इतिहास में चारों विधानसभा मऊ सदर, घोसी, मधुबन और मुहम्मदाबाद गोहना से 1952 से लेकर आज तक कभी कोई महिला विधायक नहीं चुनी गईं. जिले की इकलौती लोकसभा सीट घोसी से भी कोई महिला सांसद आज तक नहीं चुनी गईं.

मऊ की चारों सीटों का हाल

मऊ जिले की विधानसभा सीटों पर भी 2012 में कांग्रेस ने घोसी विधानसभा से राना खातून को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. वहीं कल्पनाथ राय की बहू सीता राय जनता दल यूनाइटेड से 2002 और 2007 में मऊ की सदर विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहीं. उन्हें भी जनता ने नकार दिया. मोहम्मदाबाद विधानसभा से 2007 में कांग्रेस की लालती देवी ने अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की. उन्हें भी निराशा हाथ लगी. घोसी लोकसभा सीट से कई बार कांग्रेस की ओर से डॉ. सुधा राय चुनाव लड़ी. हर बार उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा.

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फिरोजाबाद में इस बार जगी उम्मीद

दूसरी ओर फिरोजाबाद के सभी विधानसभा क्षेत्रों में आजादी के बाद से अब तक एक भी महिला उम्मीदवार की जीत नहीं हुई है. पिछले सात दशकों में हुए 17 विधानसभा चुनावों में जसराना निर्वाचन क्षेत्र को छोड़कर, कोई भी महिला उम्मीदवार दूसरा स्थान भी हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई है.  हालांकि इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि यह इतिहास बदल सकता है. इस बार कांग्रेस ने फिरोजाबाद में तीन महिला उम्मीदवारों और बसपा ने एक को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है.