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मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर को ट्रेड यूनियन करेंगे देशव्यापी हड़ताल

संयुक्त मंच ने एक बयान में कहा कि यूनियनों को 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल के लिए श्रमिकों का जबरदस्त समर्थन मिला है. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न उद्योगों के स्वतंत्र मजदूर संघों ने 16 नवंबर 2020 को एक वर्चुअल बैठक की थी.

Updated on: 18 Nov 2020, 08:30 AM

नई दिल्ली:

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) में दस ने कहा है कि वे 26 नवंबर 2020 को अपनी राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल (Nationwide Strike) की घोषणा पर कायम हैं और साथ ही अगले हफ्ते होने वाले किसानों के दो दिन के विरोध प्रदर्शन को भी समर्थन देंगी. इस संबंध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न उद्योगों के स्वतंत्र मजदूर संघों ने 16 नवंबर 2020 को एक वर्चुअल बैठक भी की थी. 

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संयुक्त मंच ने एक बयान में कहा कि यूनियनों को 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल के लिए श्रमिकों का जबरदस्त समर्थन मिला है. इस अभियान में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियप ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोगरेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं.

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जन-विरोधी, श्रमिक-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी और घातक नीतियों के खिलाफ बुलाई गई है हड़ताल
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की ‘जन-विरोधी, श्रमिक-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी और घातक नीतियों’ के खिलाफ यह आम हड़ताल बुलायी गयी है. इसके अलावा केंद्रीय श्रम संगठनों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के विरोध प्रदर्शन को भी अपना समर्थन दिया है. किसान हाल में संसद से पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वहीं बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 रद्द करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय विद्युत इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने भी 26 नवंबर को बिजली इंजीनियरों की हड़ताल की घोषणा की है.