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सावधान! एक बार फिर आपको रुलाने की तैयारी में है प्याज, नासिक की थोक मंडी में बढ़े दाम

प्याज की थोक कीमतें दो सप्ताह के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है.

Updated on: 09 Oct 2019, 05:07 PM

नई दिल्ली:

बीते दिनों प्याज की महंगाई की वजह से आम आदमी के आंसू अभी सूखे भी नहीं थे कि एक बार फिर प्याज आप सबको रुलाने की तैयारी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र के नासिक जिले में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया जिसकी वजह से मंडियों में प्याज की आपूर्ति में लगातार बाधा आ रही है. इससे प्याज की थोक कीमतों में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. प्याज के दामों में 37 फीसदी इजाफे की वजह से फुटकर बाजारों में प्याज की कीमतें और बढ़ जाने की आशंका अब पहले से ज्यादा बढ़ गई है. इस प्रकार प्याज की थोक कीमतें दो सप्ताह के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है. आपको बता दें कि प्याज की कीमतें पहले से ही पिछले कुछ हफ्तों से काफी ज्यादा है, ऐसे में थोक कीमतें बढ़ने से और मुसीबत खड़ी हो सकती है.

नासिक के लासलगांव मंडी में महंगी हुई थोक प्याज
प्याज के बढ़ते दामों की वजह से आम आदमी की आंखों के आंसू थम ही नहीं रहे हैं. सोमवार को नासिक के लासलगांव मंडी में प्याज की कीमत 37.29 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई. आपको बता दें कि लासलगांव मंडी एशिया का सबसे बड़ी हाजिर प्याज मंडी है. मंगलवार को दशहरा था जिसकी वजह से मंडी बंद थी मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक, लासलगांव में प्याज की आपूर्ति में 137 टन तक की गिरावट आई है, जो इस साल का सबसे कम स्तर है. स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के एक नेता हंसराज वादघुले ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया, 'कई छोटे किसान समूह प्याज होल्डिंग की सीमा तय करने और निर्यात पर रोक लगाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं.'

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जानिए क्यों बिगड़ी प्याज आपूर्ति की स्थिति
कृषि पैदावार विपणन समिति के चेयरमैन जयदत्त सीताराम होल्कर ने मीडिया से बात चीत करते हुए बताया कि बाजार में प्याज आपूर्ति की स्थिति क्यों बिगड़ी उन्होंने मीडिया को बताया कि, 'प्याज आपूर्ति की स्थिति अब काफी बदल गई है. किसानों के पास अब पिछले सीजन का बहुत कम प्याज बचा है. बहुत ज्यादा बारिश और मॉनसून लंबा खिंचने से इस बार प्याज की पैदावार को काफी नुकसान हुआ है.'

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उन्होंने आगे बताया कि, मौजूदा समय में बाजार में आने वाले प्याज की गुणवत्ता बेहद खराब है. चूंकि बाजार में प्याज की कीमतें पहले से ही काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी इसलिए अब किसानों के पास और ज्यादा दाम बढ़ाने की गुंजाइश नहीं थी. जनवरी में प्याज की कीमत महज 3 रुपये से 4 रुपये प्रतिकिलो थी जो कि जुलाई में बढ़कर 15 रुपये प्रतिकिलो हो गई. इस साल मॉनसून देरी से आने की वजह से प्याज की बुवाई देरी से शुरू हुई जिसकी वजह से लासलगांव मंडी में प्याज की कीमतें 45 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गईं और देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतें 60 रुपये प्रतिकिलो तक जा पहुंची हैं.