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Apple चीन छोड़ भारत आने की तैयारी में, बढ़ाएगा अपना उत्पादन

द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक एप्पल भारत और वियतनाम में अपने उत्पादों के निर्माण को बढ़ा सकता है. ऐसा होने पर दुनिया की तमाम अन्य बड़ी कंपनियों को भी भारत आने का प्रोत्साहन मिलेगा.

Updated on: 22 May 2022, 09:48 AM

highlights

  • द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक एप्पल चीन से बाहर तलाश रहा विकल्प
  • भारत और वियतनाम हो सकते हैं एप्पल उत्पादों के निर्माण के नए केंद्र
  • कड़े कोरोना प्रतिबंध और रूस के प्रति झुकाव भी बन रहा मोहभंग का कारण

नई दिल्ली:

बीजिंग प्रशासन के कठोर कोविड-19 (COVID-19) नियमों की वजह से कई कंपनियां वहां से अपना कारोबार समेटने में लगी हैं. अब इस कड़ी में अगला नाम एप्पल (Apple) का हो सकता है. द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक एप्पल अपने उत्पादों के निर्माण के लिए भारत (India) का रुख कर सकता है. एप्पल के शीर्ष अधिकारियों को इस बारे में संभावनाएं तलाशने को कहा गया है. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि कोरोना कहर (Corona Epidemic) से जहां तमाम देशों के बाजार उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे हैं, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था (Economy) न सिर्फ बढ़ रही है, बल्कि नए मील के पत्थर भी तय कर रही है. दूसरे चीन (China) की अमेरिका की मुखालफत और रूस (Russia) के प्रति झुकाव ने भी कई अमेरिकी कंपनियों को विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है.

टिम कुक ने पहले ही दिए थे संकेत
इस कड़ी में द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक एप्पल भारत और वियतनाम में अपने उत्पादों के निर्माण को बढ़ा सकता है. ऐसा होने पर दुनिया की तमाम अन्य बड़ी कंपनियों को भी भारत आने का प्रोत्साहन मिलेगा. रूस-यूक्रेन युद्ध के मसले पर रूस को खुलेआम समर्थन देने और कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कई बड़े शहरों में कड़ा लॉकडाउन लगाने से कई विदेशी कंपनियों का चीन से मोहभंग हो रहा है. बाजार विश्लेषकों के मुताबिक एप्पल के आई-पैड, आई फोन, मैक बुक का 90 फीसदी उत्पादन विदेशी ठेकेदारों के तहत चीन में किया जा रहा है. एप्पल के उत्पादों की वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रंखला लड़खड़ाने पर सीईओ टिम कुक ने हाल ही में कहा था कि हमारे उत्पाद वैश्विक हैं. ऐसे में हम अपने उत्पादों के लिए कुछ और संभावनाओं की भी तलाश कर रहे हैं.

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भारत को अगला चीन देख रही दुनिया
जानकारों के मुताबिक पिछले कुछ समय में एप्पल के वरिष्ठ अधिकारी लगातार इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं. चीन से अपना कारोबार समेटने के पीछे विशेषज्ञ बीजिंग की दमनकारी नीतियों और अमेरिका के साथ उसके बढ़ते विवाद को वजह बता रहे हैं. पर्यवेक्षकों के अनुसार, चीन पर एप्पल की निर्भरता जोखिम भरी है. ऐसे में एप्पल की निर्माण योजनाओं से परिचित लोगों के अनुसार कंपनी अपनी बड़ी आबादी और कम लागत के कारण भारत को अगले चीन के रूप में देखती है. बताते हैं कि 2020 की शुरुआत में कोविड महामारी के दुनिया भर में फैलने से पहले ही एप्पल चीन से दूर होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन महामारी ने उसकी योजनाओं को रोक दिया. अब एप्पल के शीर्ष अधिकारी फिर से ठेकेदारों को निर्देश दे रहा है कि वे नई विनिर्माण क्षमता की तलाश करें.