Global Economic Growth 2023 में आधी हिस्सेदारी होगी भारत-चीन की
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने चेतावनी भी दी है कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद विश्व अर्थव्यवस्था में तेज मंदी रहेगी.
highlights
- 1990 के बाद से मध्यम अवधि के विकास का सबसे कम पूर्वानुमान
- बीते दो दशकों में इसकी दर 3.8 प्रतिशत के औसत से नीचे ही रही
- वैश्विक भुखमरी और गरीबी की खतरनाक स्थिति और गहरा सकती है
न्यूयॉर्क:
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने कहा कि इस साल विश्व अर्थव्यवस्था (Global Economy) के 3 प्रतिशत से कम दर पर बढ़ने की उम्मीद है. यही नहीं, 2023 के वैश्विक आर्थिक विकास में भारत (India) और चीन (China) का आधा हिस्सा रहने की उम्मीद है. इसके साथ ही आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना ने चेतावनी भी दी है कि कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के प्रकोप और यूक्रेन पर रूस के सैन्य आक्रमण (Russia Ukraine War) की वजह से पिछले साल विश्व अर्थव्यवस्था में आई तीव्र मंदी इस साल भी जारी रहेगी. उन्होंने आशंका जताई की मंद आर्थिक गतिविधियों का दौर लंबा चलेगा और अगले पांच सालों में विकास दर (Growth Rate) 3 फीसदी से कम ही रहेगी. 1990 के बाद से यह मध्यम अवधि के विकास का सबसे कम पूर्वानुमान है. बीते दो दशकों में इसकी दर 3.8 प्रतिशत के औसत से नीचे ही रही है.
उभरती अर्थव्यवस्थाएं देंगी वैश्विक विकास दर को गति
उन्होंने कहा, '2023 में वैश्विक आर्थिक विकास दर को कुछ गति उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से मिलेगी. खासकर इस क्रम में एशिया महत्वपूर्ण स्थान रखता है. 2023 के लिए भारत और चीन का वैश्विक विकास में आधा हिस्सा रहने की उम्मीद है. 2021 में एक मजबूत रिकवरी के बाद यूक्रेन-रूस युद्ध और इसके व्यापक परिणामों के गंभीर झटके आए हैं. 2022 में वैश्विक विकास लगभग आधा गिरकर 6.1 से 3.4 प्रतिशत हो गया.' जॉर्जीवा ने कहा कि धीमी आर्थिक वृद्धि एक गंभीर झटका साबित होगी, जिससे कम आय वाले देशों के लिए और भी कठिनाई सामने आएगी.
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दुनिया भर के केंद्रीय बैंक कर रहे हैं ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी
उन्होंने कम आर्थिक विकास दर के असर को समझाते हुए कहा, कोविड-19 संकट से शुरू हुई भुखमरी और गरीबी की खतरनाक स्थिति और गहरा सकती है. गौरतलब है क्रिस्टालिना जॉर्जीवा की टिप्पणियां आईएमएफ और विश्व बैंक की अगले सप्ताह होने वाली स्प्रिंग बैठकों से पहले आई हैं. इस बैठक में नीति-निर्माता वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष गहरे दबाव वाले मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इनका मकसद उन रास्तों को भी तलाशना होगा, जिससे राहत हासिल की जा सके. यह वार्षिक बैठक ऐसे समय हो रही है, जब दुनिया भर के केंद्रीय बैंक तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति दरों को कम करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 90 प्रतिशत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को इस वर्ष अपनी विकास दर में गिरावट देखने का अनुमान है.
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यह समय उत्साह और खुशी का कतई नहीं
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि कम आय वाले देशों के लिए निर्यात की कमजोर मांग के समय उच्च उधारी लागत घेरे हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक बैंकिंग प्रणाली 2008 के वित्तीय संकट के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुकी है. इसके बावजूद कमियों के बारे में चिंता बनी हुई है, जो न केवल बैंकों में बल्कि गैर-बैंकों में भी छिपी हो सकती है. अब यह समय उत्साह और खुशी जाहिर करने का नहीं है.
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