मूडीज (Moody's) ने भारत की GDP ग्रोथ रेट अनुमान को घटाकर 4.9 फीसदी किया
मूडीज ने उपभोग प्रवृत्ति पर एक रिपोर्ट में कहा कि निवेश को लेकर शुरू हुई सुस्ती से आर्थिक विकास की रफ्तार मंद पड़ने लगी और अब ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के वित्तीय दबाव में होने और रोजगार सृजन की दर मंद पड़ने के कारण उपभोग में भी सुस्ती आ गई है.
नई दिल्ली:
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक विकास दर (GDP Growth Rate) के अपने अनुमान में कटौती की है. रेटिंग एजेंसी ने सोमवार को कहा कि उपभोग मांग सुस्त रहने के कारण चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 4.9 फीसदी रह सकती है. अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान को 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है. मूडीज के अनुसार, भारत की आर्थिक विकास दर 2020-21 में 6.3 फीसदी रह सकती है.
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रेटिंग एजेंसी ने इससे पहले 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया था. मूडीज ने उपभोग प्रवृत्ति पर एक रिपोर्ट में कहा कि निवेश को लेकर शुरू हुई सुस्ती से आर्थिक विकास की रफ्तार मंद पड़ने लगी और अब ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के वित्तीय दबाव में होने और रोजगार सृजन की दर मंद पड़ने के कारण उपभोग में भी सुस्ती आ गई है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा कि भारत में कमजोर घरेलू खपत से आर्थिक वृद्धि में गिरावट आएगी और इसका असर कई क्षेत्रों को दिये गये कर्ज की गुणवत्ता पर पड़ेगा.
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बेरोजगारी, ग्रामीण क्षेत्रों की वित्तीय समस्याएं, नकदी संकट से उपजी समस्या
मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस ने एक रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक वृद्धि (GDP Growth) को कमजोर करने में ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समस्या खड़ा होना, रोजगार सृजन कम होना और नकदी की तंगी जैसे कारणों से यह स्थिति बनेगी.
मूडीज़ के सहायक उपाध्यक्ष और विश्लेषक देबराह तान ने कहा कि एक समय जो निवेश आधारित सुस्ती थी वह अब फैलती हुई खपत में कमी वाली अर्थव्यवस्था बन गई. कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की वेतन वृद्धि कमजोर पड़ने जमीन और श्रम क्षेत्र के जटिल कानूनों के चलते रोजगार सृजन में भी नरमी बनी हुई है. (इनपुट भाषा)
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