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कल पीयूष गोयल पेश करेंगे अंतरिम बजट, जानें बजट और अंतरिम बजट में अंतर

1 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की गैरमौजूदगी में अंतरिम बजट पेश करेंगे.

Updated on: 31 Jan 2019, 08:57 AM

नई दिल्ली:

आज से अंतरिम बजट सत्र (Interim Budget Session) शुरू हो रहा है. एक दिन बाद 1 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goel) वित्‍त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) की गैरमौजूदगी में अंतरिम बजट पेश करेंगे. वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) स्वास्थ्य कारणों से अमेरिका में हैं और उनकी गैर मौजूदगी में पीयूष गोयल (Piyush Goel) को वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. संसद का अंतरिम बजट सत्र (Interim Budget Session) 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलेगा. मोदी सरकार का यह अंतिम बजट होगा, जिसमें किसानों को लुभाने की कोशिश की जाएगी.

वोट ऑन अकाउंट और आम बजट में अंतर: आम बजट (General Budget) एक पूरे वित्त वर्ष के लिए पेश किया जाता है, जबकि अंतरिम बजट (Interim Budget) कुछ ही महीनों के लिए पेश किया जाता है. अंतरिम बजट (Interim Budget) के कुछ महीनों बाद नई सरकार की ओर से उसी वर्ष पूर्ण बजट (Full Budget) भी पेश किया जाता है.

अंतरिम बजट (Interim Budget): लोकतांत्रिक देशों में चुनावी साल के दौरान सरकारें फुल बजट न पेश कर अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करती हैं. दरअसल यह बजट चुनावी वर्ष में नई सरकार के गठन तक खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता होती है. इस बजट में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जाता है, जो नीतिगत और जिसे पूरा करने के लिए संसद (Parliament) की मंजूरी लेनी पड़े या फिर कानून में बदलाव की जरूरत हो. इस बजट में डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता, हालांकि सरकारें इंपोर्ट (Import), एक्साइज या सर्विस टैक्स (Service Tax) में राहत दे देती हैं. आम तौर पर हर सरकार की अपनी राजकोषीय योजनाएं होती हैं और वह उसी के मुताबिक धन का आवंटन करती हैं.

अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट में अंतर: अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट (Vote On Account) में भी थोड़ा अंतर होता है. दोनों ही कुछ ही महीनों के लिए होते हैं. हालांकि दोनों के पेश करने के तरीके में अंतर होता है. अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के अलावा राजस्व का भी ब्यौरा देती है, जबकि लेखानुदान (Vote On Account) में सिर्फ खर्च के लिए संसद (Parliament) से मंजूरी मांगती है.