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अक्षय कुमार की फिल्म केसरी में दिखाई गई ये फेक चीजें, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

फिल्म में कई ऐसी चीजें दिखाई गई हैं जिनका सच्चाई से कोसों दूर तक कोई संबंध नहीं है.

Updated on: 24 Mar 2019, 12:05 PM

नई दिल्ली:

अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है. इस फिल्म को काफी अच्छा रिस्पांस मिला है जिसके दम पर फिल्म ने पहले ही दिन 21 करोड़ रुपये की कमाई की. जहां तक फिल्म में दिखाए गए चीजों पर बात करें तो जानकारों का मानना है कि इस फिल्म में कई ऐसी बातें हैं जिन्हें ऊपर-नीचे करके दिखाया गया है. हम आगे इस आर्टिकल में उन्ही खास बातों या यूं कहें फेक बातों के बारे में जो फिल्म में दिखाए गए हैं.

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#1. जानकारों के मुताबिक 21 सिख जवानों की 10 हजार हमलावरों से जंग ने कहानी में भारतीयों की वीरता तो दिखा दी लेकिन जरा अपने दिमाग से भी सोचिए क्या ऐसा हो सकता है.
#2. विशेषज्ञों की मानें तो सारागढ़ी के बैटल पर आधारित फिल्म केसरी में कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है. बल्कि मेकर्स ने फिल्म को ज्यादा दिलचस्प बनाने के लिए उन्हें मनगढ़ंत तरीके से बना दिया है.
की इस कहानी को बहुत हद तक फिल्मी या काल्पनिक बना दिया गया है. ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 36 सिख रेजीमेंट के 10 जवानों की 6-7 घंटे चली इस लड़ाई की कहानी में कई लूपहोल्स हैं.

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#3. नहीं थी पठानों से बातचीत की इजाजत -जैसा कि कहानी में दिखाया गया है कि अक्षय कुमार और बाकी जवान अक्सर पठानों से बातचीत करते नजर आते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो जवानों को पठानों से बातचीत की इजाजत ही नहीं थी. उन्हें जो निर्देश दिए जाते थे वे बहुत स्ट्रिक्ट हुआ करते थे और उन्हें उन निर्देशों का पालन करते थे. तो ये एक चीज है जो फिल्म में अपने से जोड़ी गई.
#4. डायलॉग और फर्जी बातचीत - जानकारी के मुताबिक सारागढ़ी पोस्ट पर जंग से पहले इलाकाई लोगों के लिए मस्जिद बनाए जाने और जंग के बीच में हमलावरों के साथ हुई बातचीत भी केवल फिल्म को एक न्यू टच देने के लिए की गई थी.
#5. पगड़ी का रंग केसरी नहीं था- मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अक्षय कुमार फिल्म में इसहार सिंह को केसरी रंग की पगड़ी में दिखाई दे रहे हैं जबकि असल में पगड़ी का रंग केसरी था ही नहीं. विशेषज्ञ के मुताबिक पगड़ी भी बाकी पोशाक की तरह खाकी रंग की हुआ करती थी. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वहां केसरी पगड़ी पहनने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी, केसरी तो खालसा का रंग है.

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#6. अकेले नहीं गए थे इसहार सिंह- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हवलदार इसहार सिंह को कभी भी उस जगह पर अकेले भेजा ही नहीं गया था जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूरी की पूरी 36 सिख रेजीमेंट को 1895 में उत्तर पश्चिमी फ्रंट पर जाने का आदेश मिला था. उनसे कहा गया था कि वे दिसंबर 1896 तक वहीं पेशावर में रुकें. इसहार सिंह अपनी पूरी टीम के साथ वहां गए बल्कि यूं ही घूमते हुए अकेले वहां पहुंच गए थे.