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बिहार में शराबबंदी कानून में हो सकता है संशोधन, नीतीश ने कहा- समीक्षा कर लिए लिए जाएंगे फैसले

बिहार में शराबबंदी कानून के अप्रैल 2016 में लागू होने के बाद पहली बार नीतीश सरकार इसमें संशोधन कर सकती है।

Updated on: 06 Jun 2018, 08:30 AM

highlights

  • बिहार में शराबबंदी कानून अप्रैल 2016 से है लागू
  • इसके तहत पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा
  • नीतीश ने कहा कि सुधार की गुंजाइश पर हो सकता है संशोधन

पटना:

बिहार में शराबबंदी कानून के अप्रैल 2016 में लागू होने के बाद पहली बार नीतीश सरकार इसमें संशोधन कर सकती है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू) के एक कार्यक्रम में मंगलवार को कहा कि राज्य में लागू बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक 2016 के प्रावधानों की समीझा कर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

नीतीश कुमार ने कहा कि बोलते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को इस कानून के कारण कष्ट नहीं झेलने पड़े, इसके लिए उपाय किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून में जो भी सुधार की गुंजाइश होगी, उस पर मंथन कर उसे सुधारा जाएगा।

उन्होंने कहा, 'ऐसा मत समझिए कि हम लोगों की बात नहीं सुनते हैं। कहीं कोई कानून के प्रावधान हैं, जिसका सरकारी तंत्र के लोग लाभ उठा रहे हैं। लोगों को इसका कष्ट नहीं झेलना पड़ें, इसके उपाय किए जा रहे हैं।'

शराबबंदी के कारण अधिकारियों खासकर पुलिस विभाग के अधिकारियों के चांदी काटे जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है।

नीतीश ने कहा कि शराब के कारोबार से जुड़े लोगों को रोजगार के मौके उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता होगी।

गौरतलब है कि बिहार के शराबबंदी कानून में कड़े सजा के प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और नशे में पकड़े जाने पर न्यूनतम एक लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है।

नीतीश सरकार शराबबंदी कानून के कड़े प्रावधानों को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर रही है।

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