logo-image

झारखंड के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन, सबसे पहले करेंगे शराबबंदी

उनका मानना है कि झारखंड के गांवों में खासतौर पर शराब की दुकानें नहीं खुलनी चाहिए क्योंकि राज्य के आदिवासी शराब के फेर में जिंदगी में पिछड़ते चले जाएंगे.

Updated on: 23 Dec 2019, 01:43 PM

highlights

  • कांग्रेस ने जेएमएम को राज्‍य में बड़े भाई के तौर पर स्‍वीकार कर लिया था.
  • पिता शिबु सोरेन की तरह ही लोगों से सीधा संवाद रखने में विश्वास करते हैं हेमंत.
  • हेमंत राज्य में शराब बिक्री पर पांबदी लगाने के पक्षधर हैं.

नई दिल्ली:

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्‍व वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन झारखंड में सरकार बनाने जा रहा है. एक लिहाज से देखें तो कांग्रेस को झारखंड के सबसे युवा मुख्‍यमंत्री रह चुके हेमंत सोरेन पर भरोसा करना फायदे का सौदा साबित हुआ. कांग्रेस ने अक्‍टूबर में सीटों के बंटवारे को लेकर हुई बातचीत में जेएमएम को राज्‍य में बड़े भाई के तौर पर स्‍वीकार कर लिया था. कांग्रेस ने स्‍पष्‍ट कर दिया था कि जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर स्वीकार करने में पार्टी को कोई परेशानी नहीं है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड में BJP को न 'राम' का मिला साथ न 'धारा 370' आई काम

झारखंड के सबसे युवा मुख्‍यमंत्री थे हेमंत
हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वह अपने पिता शिबू सोरेन की तरह राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. 2013 में हेमंत सोरेन आरजेडी, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की मदद से झारखंड के 5वें मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे और दिसंबर 2014 तक पद पर रहे. 1975 में जन्मे हेमंत सोरेन कम उम्र में ही अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दे चुके थे. शिबू सोरेन की विरासत को संभालना उनके लिए किसी जोखिम से कम नहीं था, लेकिन हेमंत सोरेन ने समय-समय पर अपनी काबिलियत का परिचय देकर यह साबित कर दिया कि राजनीति के टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चलने की क्षमता उनमें है.

यह भी पढ़ेंः एक बार फिर अपनी इस हकीकत को नहीं बदल पाया झारखंड

शराबबंदी के पक्षधर हैं हेमंत
स्वभाव से बेहद सरल हेमंत पिता की तरह ही लोगों से सीधा संवाद रखने में विश्वास करते हैं. हेमंत राज्य में शराब बिक्री पर पांबदी लगाने के पक्षधर हैं. उनका मानना है कि झारखंड के गांवों में खासतौर पर शराब की दुकानें नहीं खुलनी चाहिए क्योंकि राज्य के भोले-भाले आदिवासी शराब के नशे में चूर होकर जिंदगी में पिछड़ते चले जाएंगे. उनका मानना है कि राज्य की महिलाओं को आगे बढ़कर शराब बिक्री का विरोध करना होगा. तभी राज्य सरकार गांवों में शराब का लाइसेंस बांटने का निर्णय वापस ले सकेगी.

यह भी पढ़ेंः साल भर में पांचवां राज्य निकला बीजेपी के हाथ से, झारखंड में बीजेपी बहुमत से दूर

जीवनसफर एक नजर में

  • हेमंत सोरेन की गिनती झारखंड के कद्दावर नेताओं में होती है.
  • हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.
  • हेमंत का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में हुआ था.
  • 44 वर्षीय हेमंत झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन के बेटे हैं.
  • हेमंत सोरेन की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई बिहार की राजधानी पटना से हुई है.
  • उन्होंने 2003 में छात्र मोर्चा की राजनीति शुरू की और फिर आगे ही बढ़ते चले गए.
  • हेमंत सोरेन 24 जून 2009 से 4 जनवरी 2010 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे.
  • 2010 में भारतीय जनता पार्टी के अर्जुन मुंडा की सरकार बनी, तो समर्थन के बदले हेमंत सोरेने को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि जनवरी 2013 को झामुमो की समर्थन वापसी के चलते बीजेपी के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा की गठबंधन सरकार गिरी थी.
  • हेमंत डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के विरोधी हैं और उनका मानना है कि इससे कई गरीब सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं.
  • राज्य के आदिवासियों के हितों की रक्षा करने का हेमंत सोरेन कोई भी मौका हाथ सें गंवाना नहीं चाहते हैं. 'छोटा नागपुर टीनेंसी एक्ट' और 'संथाल परगना टीनेंसी एक्ट' में बदलाव की कोशिशों का हेमंत सोरेन ने जबर्दस्त विरोध किया.