श्रीलंका में रानिल के राष्ट्रपति बनने बाद संसद की पहली बैठक आज
रानिल विक्रमसिंघे ने 17 जुलाई को देश में आपातकाल की घोषणा की थी, जब तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे खुद और सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन से बचने के लिए श्रीलंका से सिंगापुर भाग गए थे.
highlights
- संसद के पहले सक्ष में आपातकाल को दी जाएगी मंजूरी
- साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार पर भी गहन चर्चा की संभावना
कोलंबो:
ऐतिहासिक उथल-पुथल झेल रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) और नए प्रधानमंत्री बतौर दिनेश गुणवर्द्धने (Dinesh Gunawardena) के पद संभालने के बाद बुधवार को संसद का पहला सत्र आहूत किया जा रहा है. एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गयी. माना जा रहा है कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन झेल रहे इस द्वीपीय देश में संसद सत्र के दौरान देश में सामाजिक अशांति को खत्म करने के लिए एक सप्ताह पहले लागू किए गए आपातकाल को मंजूरी दी जाएगी. गौरतलब है कि राष्ट्रपति आवास पर प्रदर्शनकारियों के कब्जे और गोटाबया राजपक्षे (Gotabaya Rajpaksa) के देश छोड़कर भाग जाने के बाद नए राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे ने आपातकाल लगाते हुए सुरक्षा बल और पुलिस को असीमित अधिकार दिए थे. साथ ही सरकार विरोध हिंसक प्रदर्शन पर रोक लगाते हुए आपातकाल लगा दिया था.
रानिल विक्रमसिंघे ने 17 जुलाई को लगाया था आपातकाल
रानिल विक्रमसिंघे ने 17 जुलाई को देश में आपातकाल की घोषणा की थी, जब तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे खुद और सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन से बचने के लिए श्रीलंका से सिंगापुर भाग गए थे. श्रीलंका में अभूतपूर्व सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच राजपक्षे के मालदीव और फिर सिंगापुर जाने के बाद रानिल विक्रमसिंघे को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था. राजपक्षे ने सिंगापुर पहुंचने के बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद राजनीतिक अस्थिरता के बीच संसद ने सीक्रेट वोटिंग के जरिए गोटाबया राजपक्षे के उत्तराधिकारी के तौर पर रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति नियुक्त किया था. इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे ने दिनेश गुणवर्द्धने को पीएम नियुक्त कर अंतरिम सरकार के गठन का रास्ता साफ कर दिया था.
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मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चल रही बातचीत
रानिल को श्रीलंका में पिछले 44 वर्षों में पहली बार संसद ने सीधे तौर पर राष्ट्रपति बतौर निर्वाचित किया था. सूत्रों की मानें तो 18 सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार कर सर्वदलीय सरकार के गठन को लेकर भी बातचीत चल रही है. इसके साथ ही श्रीलंका को ऐतिहासिक आर्थिक मंदी से उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत मित्र दिशों से रानिल सरकार बात कर रही है. भारत के पीएम मोदी ने भी रानिल से फोन पर बातचीत कर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है. इसके पहले भारत श्रीलंका की न सिर्फ क्रेडिट लाइन बढ़ा चुका है, बल्कि दवाओं और चावल के रूप में मानवीय सहायता भी भेज चुका है.
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