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चीन ने मुसलमानों पर रमज़ान में लगाई बड़ी पाबंदी

चीन ने रमजान (Ramdan) के दौरान मुसलमानों पर एक बड़ी पाबंदी लगाई है जिसके तहत उनको रोजा (Roza) रखना मुश्‍किल होगा.

Updated on: 06 May 2019, 03:47 PM

highlights

  • सरकारी कर्मचारियों, छात्रों और शिक्षकों पर रोज़ा रखने पर बैन 
  • चीन में रोजे पर बैन लगाने कह हर साल कोशिश होती रहती हैं
  • चीन ने निगरानी के नाम पर लाखों उइगुर मुसलमानों को कैद करके रखा है

नई दिल्‍ली:

चीन ने रमजान (Ramdan) के दौरान मुसलमानों पर एक बड़ी पाबंदी लगाई है जिसके तहत उनको रोजा (Roza) रखना मुश्‍किल होगा. चीनी सरकार ने रमज़ान में सरकारी कर्मचारियों, छात्रों और शिक्षकों के व्रत यानि रोज़ा रखने पर बैन लगा दिया है. ये प्रतिबंध उइगुर मुस्लिम बहुल शिनज़ियांग प्रांत में लागू होगा. यहां रमज़ान के दौरान रेस्तरां खुले रहेंगे. शियानज़ियांग जिंगे काउंटी के फूड एंड ड्रग प्रशासन ने इस बारे में वेबसाइट पर नोटिस भी लगा दिया है. 

रमज़ान के दौरान दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं मगर चीन सरकार ने रोज़े को लेकर जो फैसला किया है, उससे बहुत सारे उइगुर मुसलमान प्रभावित होनेवाले हैं. पिछले साल भी स्कूली बच्चों को भी व्रत से दूर रखने के प्रयास हुए थे. कई स्कूलों में कहा गया कि वो बच्चों को रमज़ान के दौरान रोज़े और मस्जिदों से दूर रखें. वहीं निर्वासित विश्व उइगुर कांग्रेस ने कहा है कि चीन सरकार ने ऐसा कदम उइगुर समुदाय को इस्लाम से दूर करने के लिए उठाया है. धार्मिक व्रत पर प्रतिबंध लगाना उकसावे की कार्यवाही है और इससे सिर्फ टकराव को बढ़ावा मिलेगा.

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चीन में रोजे पर बैन लगाने कह हर साल कोशिश होती रहती हैं. इस कोशिश का पुरज़ोर विरोध भी होता रहा है मगर चीन अपनी कोशिश जारी रख है. बता दें शिनज़ियांग में उइगुर मुसलमानों को लेकर पहले से तनाव चल रहा है. यहां हिंसक घटनाओं में सैकड़ों लोग जान भी गवां चुके हैं. चीनी सरकार कहती रही है कि शिनज़ियांग प्रांत में आतंक का खतरा छाया हुआ है और उसी के चलते धार्मिक हिंसा हो रही है.

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क्यूइमो काउंटी में तो अधिकारियों ने धार्मिक नेताओं से मिलकर बताया भी है कि रमज़ान के महीनों में निगरानी बढ़ाई जाएगी ताकि स्थिरता बनी रहे. मस्जिदों में आनेवाले लोगों का पहचान पत्र जांचने का आदेश भी सरकार ने दिया है.

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बता दें उइगुरों को लेकर चीन ने श्वेतपत्र जारी कर दावा किया है कि 2014 से लेकर अब तक हिंसाग्रस्त शिनज़ियांग में उसने करीब 13 हज़ार आतंकियों को गिरफ्तार किया है. 2014 और 2018 में मस्जिदें गिराने पर चीनी सरकार की ज़बरदस्त आलोचना हुई थी. वुजहांग की वेईझोऊ मस्जिद गिराने पहुंचे अधिकारियों का तो इतना ज़ोरदार विरोध हुआ था कि उन्हें लौटना पड़ा. मुस्लिम पुरुषों के दाढ़ी बढ़ाने तक पर अंकुश लगाने की खबरें भी आई हैं. इस सबके बारे में चीनी सरकार ने बार बार कहा है कि उसकी नीतियां बिलकुल सही हैं.

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चीन की इस बर्बरता को लेकर अगस्‍त 2018 में संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इस पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी. इसमें कहा गया कि चीन ने निगरानी के नाम पर लाखों उइगुर मुसलमानों को कैद करके रखा है और 20 लाख उइगर मुसलमानों की विचारधारा बदलने में लगा है. यूएन ने इस पर गहरी चिंता व्‍यक्‍त की थी.

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शिनज़ियांग प्रांत को चीन स्वायत्त घोषित कर चुका है. इसकी सीमा मंगोलिया और रूस समेत 8 देशों से मिलती है. कभी ये क्षेत्र पूर्वी तुर्किस्तान था इलाके में तुर्क मूल के उइगुर मुसलमान सबसे ज़्यादा हैं. उइगुर खुद को आज़ाद कराने का नाकाम प्रयास लंबे वक्त से करते रहे हैं. कई मुस्लिम देश उनके संघर्ष का समर्थन करते हैं. चीनी सरकार कहती है कि इस प्रांत के उइगु ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ चलाकर खुद को अलग कर लेना चाहते हैं. अमेरिका तक ने इस मूवमेंट को अलगाववादी माना है मगर चीन से उलट वो इसे आतंकी संगठन मानने को तैयार नहीं.