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अब क्या करेंगे पुतिन, फिनलैंड-स्वीडन बन गए नाटो के नए सदस्य

नाटो के सहयोगियों के रूप में, फिनलैंड और स्वीडन तुर्की को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूरी तरह से समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Updated on: 30 Jun 2022, 04:07 PM

highlights

  • यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दोनों देशों का बदला मन
  • पहले तुर्की ने लगाया था वीटो, अब ले लिया वापस
  • नाटो के सदस्यों की संख्या बढ़कर हो गई है 32

मेड्रिड:

स्पेन में संपन्न नाटो शिखर सम्मेलन में स्वीडन और फिनलैंड के गठबंधन में शामिल होने पर मुहर लग गई है. नाटो नेताओं ने इन दोनों देशों को गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. गौरतलब है कि तुर्की के वीटो वापस लेने की घोषणा के बाद स्वीडन और फिनलैंड नाटो के सदस्य बन सकेंगे. पहले इन दोनों देशों के आवेदन पर तुर्की ने ही आपत्ति जताई थी. हालांकि तुर्की के हितों की रक्षा के वादे के बाद वीटो वापस लेने की सहमति बनी. इन दोनों देशों के शामिल होने के बाद नाटो के सदस्यों की संख्या बढ़कर 32 हो जाएगी. यूक्रेन की तुलना में फिनलैंड और स्वीडन रूस के लिए खतरा नहीं हैं. हालांकि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद ही इन दो तटस्थ  नार्डिक देशों ने नाटो में शामिल होने का फैसला किया. यह पिछले एक दशक में नाटो गठबंधन का सबसे बड़ा विस्तार होगा.

नाटो की सदस्यता के लिए फिनलैंड-स्वीडन में आएगा कानूनी बदलाव
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस समझौते से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया कि नाटो के सहयोगियों के रूप में, फिनलैंड और स्वीडन तुर्की को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूरी तरह से समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसके लिए वे अपने घरेलू कानूनों में संशोधन कर, तुर्की में सक्रिय कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी यानी पीकेके को आतंकी संगठन घोषित करेंगे. गौरतलब है कि पीकेके तुर्की की सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र कुर्द राज्य की मांग करती है. इसी को लेकर तुर्की ने वीटो लगाया था. उसका कहना था कि फिनलैंड औऱ स्वीडन पीकेके को समर्थन करते हैं. स्पेन में बैठक में मौजूद राष्ट्राध्यक्षों ने एक घोषणा पत्र भी जारी किया. इसने फिर से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की गई.

12 सदस्यीय नाटो अब 32 का होने जा रहा
गौरतलब है कि 1949 में शीत युद्ध की शुरुआत में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में केवल 12 सदस्य थे. 1991 के सोवियत संघ के विघटन के बाद 11 पूर्वी यूरोपीय राष्ट्र जो मास्को के राज्य हुआ करते थे और तीन सोवियत देश इस गठबंधन में शामिल हो गए. इसके बाद नाटो के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 26 हो गई. बाद में एक-एक कर इस गठबंधन में देश जुड़ते गए और नाटो के सदस्य देशों की संख्या 30 तक पहुंच गई. अब फिनलैंड और स्वीडन के शामिल होते ही यह आंकड़ा 32 हो जाएगा. नाटो के विस्तार को रूस शुरू से अपने अस्तित्व के खतरे के रूप में देखता है. पुतिन ने इसी कारण 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला बोला था. हालांकि यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं है, लेकिन रूस का कहना है कि नाटो यूक्रेन के जरिए उसकी घेराबंदी कर रहा है.

यूक्रेन पर रूसी हमले से फिनलैंड-स्वीडन ने बदला मन 
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शीत युद्ध के दौरान स्वीडन और फिनलैंड ने रूसी आक्रमकता को देखते हुए खुद को नाटो से अलग रखा. उस समय इन दोनों देशों के सामने नाटो में शामिल होने के कई प्रस्ताव आए, इसके बावजूद ये दोनों देश तटस्थ बने रहे. हालांकि  स्वीडन और फिनलैंड नाटो के लिए नए नहीं हैं. ये दोनों देश यूरोपीय संघ और शांति सेना में नाटो के भागीदार हैं. 2014 में रूस के क्रीमिया पर आक्रमण कर कब्जा करने के बाद उन्होंने नाटो के साथ अपना सहयोग मजबूत किया. अब जब रूस और यूक्रेन पिछले 126 दिनों से युद्ध लड़ रहे हैं, तो इन्होंने नाटो की पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन करने का फैसला किया. जाहिर है फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होते ही यूरोप का सुरक्षा परिदृश्य पूरी तरह से बदल जाएगा.