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नेपाल की संसद में पास हुआ नया नागरिकता विधेयक

नेपाल की संसद ने शुक्रवार को बहुप्रतीक्षित नागरिकता विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया है. नेपाली संसद के नीचले सदन प्रतिनिधि सभा में विपक्षी दलों के विरोध और कुछ सत्ता पक्ष के सांसदों की आपत्ति के बावजूद बहुमत से नागरिकता संशोधन बिल को पास कर दिया है.

Updated on: 22 Jul 2022, 08:37 PM

highlights

  • 15 लाख से अधिक अनागरिकों को नागरिकता मिलने का रास्ता खुला
  • नेपाल में शादी करने वाली भारतीय महिलाओं को तत्काल मिल सकेगा नेपाली नागरिकता

काठमांडू:

नेपाल की संसद ने शुक्रवार को बहुप्रतीक्षित नागरिकता विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया है. नेपाली संसद के नीचले सदन प्रतिनिधि सभा में विपक्षी दलों के विरोध और कुछ सत्ता पक्ष के सांसदों की आपत्ति के बावजूद बहुमत से नागरिकता संशोधन बिल को पास कर दिया है. इस ऐतिहासिक बिल के संसद के ऊपरी सदन में पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास इसे भेजा जाएगा. नेपाली संसद में करीब 8 घंटे तक चली बहस के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक को पास किए जाने की घोषणा स्पीकर अग्नि सापकोटा ने किया. यह बिल कई मायनों में ऐतिहासिक है. इस बिल के पारित होने के बाद नेपाल में रह रहे लाखों 'अनागरिक' के नेपाली नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया है.

एक सरकारी आंकड़े के मुताबित, नेपाल में नागरिकताविहीन नागरिकों की संख्या करीब 15 लाख के आसपास है, जो नए कानून के अभाव में नागरिकता प्रमाण पत्र लेने से वंचित थे. नेपाल में कई पीढ़ी से रह रहे नेपाली नागरिकों को अब बिना किसी व्यवधान के नागरिकता मिल सकेगा.

इसी तरह नेपाल में जन्मे ऐसे नागरिकों के बच्चे के भी नेपाल की वंशज नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया है, जिनके पास जन्मसिद्ध के आधार पर नागरिकता मिला था. यानी जिनका जन्म नेपाल में होने के आधार पर मिला पर उनके बच्चे को कौन सा नागरिकता दिया जाए इसको लेकर कोई कानून नहीं था. सिर्फ ऐसे अनागरिकों की संख्या 11 लाख के आसपास है.

इस नए नागरिकता बिल के पास होने के बाद भारत से ब्याह कर आने वाली बेटियों को सहज ढंग से ही नेपाल की वैवाहिक अंगीकृत नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया है. सन् 2015 में जब नेपाल में नया संविधान जारी किया गया था उस समय भारतीय महिलाओं के नेपाल में शादी करने के बाद नागरिकता के पुराने प्रावधान को खत्म कर दिया गया था. उसके बाद ओली सरकार के समय भारतीय महिलाओं को नेपाल में शादी करने के 7 साल के बाद नागरिकता देने का प्रावधान सहित का नागरिकता बिल संसद में पेश किया गया था.

मधेशी दलों के विरोध के कारण इस बिल को संसदीय समिति में पास होने के बावजूद संसद के किसी भी सदन में पेश तक नहीं किया जा सका. बाद में वर्तमान देउवा सरकार ने पुराने बिल को वापस लेने का निर्णय करते हुए नयां बिल लेकर आई और संसद से उसे पारित भी करवा दिया.

नेपाल में नागरिकता कानून में पिछली सरकार के कारण दोनों देशों के बीच रहे पारिवारिक रिश्तों पर असर हुआ था. नेपाल के नए संविधान में नेपाल में शादी करके आने वाली महिलाओं कोना सिर्फ नागरिकता से वंचित कर दिया गया था बल्कि उनके राजनैतिक अधिकार भी खत्म कर दिया गया था. 2015 के बाद नेपाल और भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों में जो वैवाहिक रिश्ता बनता था उसमें एका एक 80 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई थी.