ऋषि सुनक या लिज ट्रस... नया ब्रिटिश पीएम संभालेगा विरासत में मिली 'अव्यवस्था'
यूगव के हालिया सर्वेक्षण में प्रधानमंत्री की दौड़ में लिज़ ट्रस (Liz Truss) ने ऋषि सुनक पर 28 वोटों की बढ़त बना ली है. कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों ने सुनक और ट्रस को पार्टी नेतृत्व के आखिरी चरण में पहुंचाने के लिए वोट किया था.
highlights
- लिज ट्रस ने हालिया सर्वेक्षण में ऋषि सुनक पर बढ़त बनाई
- सोमवार को लाइव डिबेट के बाद होगी पोस्टल वोटिंग
- ऋषि सुनक ने एक सभा में खुद को 'अंडरडॉग' बताया
लंदन:
यूनाइटेड किंग्डम (UK) के अगले प्रधानमंत्री को एक ऐसी 'अव्यवस्था' विरासत में मिलेगी, जिसको लेकर गवर्निंग कंजरवेटिव पार्टी के कुछ सदस्यों का मानना है कि इसे संभाल पाना बेहद मुश्किल होगा. इस बीच यूगव के हालिया सर्वेक्षण में प्रधानमंत्री की दौड़ में लिज़ ट्रस (Liz Truss) ने ऋषि सुनक पर 28 वोटों की बढ़त बना ली है. कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों ने सुनक और ट्रस को पार्टी नेतृत्व के आखिरी चरण में पहुंचाने के लिए वोट किया था. हालांकि इसके बावजूद ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने शनिवार को पूर्वी इंग्लैंड के ग्राथम में अपने चुनावी कैंपेन के दौरान कहा कि खुद को 'अंडरडॉग' मानते हैं. गौरतलब है कि ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री की दौड़ में ऋषि सुनक और लिज ट्रस के बीच सोमवार को लाइव डिबेट होगी. इस डिबेट के बाद पोस्टल बैलेट पर वोटिंग होगी.
विशेषज्ञ जता रहे आशंकाएं
जीत चाहे जिसकी हो, लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगले प्रधानमंत्री के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी. लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में राजनीति के प्रोफेसर और कंजरवेटिव पार्टी का व्यापक अध्ययन करने वाले टिम बेल कहते हैं, 'पार्टी के एक सदस्य की औसत आयु 50 के दशक के उत्तरार्ध में है. केवल आधे से कम उम्र के लोग पेंशन योग्य होते हैं और वे मुख्य रूप से गोरे हैं. वे ज्यादातर दक्षिणी इंग्लैंड में रहते हैं और आर्थिक रूप से सुकून में हैं. वे कानून और व्यवस्था पर एक मजबूत लाइन का समर्थन करते हैं, वे कम करों को स्वीकार करते हैं लेकिन मानते हैं कि सार्वजनिक सेवाएं महत्वपूर्ण हैं और उन्हें ठीक से वित्त पोषित किया जाना चाहिए.' उनके मुताबिक बहस का मुख्य मुद्दा यह है कि अर्थव्यवस्था को कैसे संभाला जाए.
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समर्थक जमकर उछाल रहे कीचड़
गौरतलब है कि विदेश मंत्री लिज ट्रस जॉनसन के कर वृद्धि से एक अलग दृष्टिकोण रखती हैं. उनका दावा है कि करों में तुरंत कटौती से विकास होगा. इसके विपरीत पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक का तर्क है कि यह काल्पनिक अर्थशास्त्र है. खासकर यह देखते हुए कि यूके अभी भी कोविड -19 महामारी के आर्थिक झटके से उबर रहा है. महीनों से चुनावों में संघर्ष कर रही और लगभग लंबे समय से सार्वजनिक रूप से खुद को झकझोरने वाली पार्टी को फिर से संगठित करने और एकजुट करने का काम किसी के लिए भी मुश्किल होगा. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, नेतृत्व के किसी भी दावेदार के लिए यह और भी कठिन होगा, दोनों के समर्थक एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं.
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