दुनियाभर में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल, 14 फीसदी तक बढ़े दाम
आर्थिक अनुसंधान एजेंसी कैपिटल इकोनॉमिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल उभरते बाजारों में खाद्य वस्तुओं की कीमतें करीब 14 फीसदी और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सात फीसदी से अधिक बढ़ गई हैं.
highlights
- सूडान में मुद्रास्फीति 245 फीसदी पहुंचने की आशंका
- ईरान में चिकन, अंडे, दूख की कीमतें 300 फीसद बढ़ी
- इस साल और अगले साल भी महंगाई बढ़ने की आशंका
सिंगापुर:
सिर्फ आर्थिक मंदी से जूझते श्रीलंका में या रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक खाद्य संकट से प्रभावित देशों ही नहीं दुनिया भर में आसमान छूती महंगाई के बीच लोगों को सबसे ज्यादा परेशान खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें कर रही हैं. आलम यह है कि विकासशील देशों के अलावा सिंगापुर जैसी उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देश को भी बढ़ती महंगाई का दंश झेलना पड़ रहा है. महंगाई के मोर्चे पर घरेलू कीमतों को काबू में करने के लिए कई देशों ने खाद्य निर्यात पर पाबंदी लगा दी है. मसलन मलेशिया ने पिछले महीने जिंदा ब्रॉइलर चिकन के निर्यात पर रोक लगा दी. मलेशिया से बड़ी संख्या में पोल्ट्री का आयात करने वाला सिंगापुर भी इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. तेल से लेकर चिकन तक की कीमतें बढ़ने से खानपान कारोबार से जुड़े प्रतिष्ठानों को भी दाम बढ़ाने पड़े हैं. लोगों को खानपान की चीजों के लिए 10-20 फीसदी तक ज्यादा कीमत देनी पड़ रही है.
इस साल खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगभग 14 फीसदी की वृद्धि
आर्थिक अनुसंधान एजेंसी कैपिटल इकोनॉमिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल उभरते बाजारों में खाद्य वस्तुओं की कीमतें करीब 14 फीसदी और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सात फीसदी से अधिक बढ़ गई हैं. एजेंसी ने आशंका जताई है कि अधिक मुद्रास्फीति के कारण विकसित बाजारों को इस साल और अगले साल भी खान-पान की वस्तुओं पर परिवारों को अतिरिक्त सात अरब डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. विश्व खाद्य कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र की चार अन्य एजेंसियों की वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष 2.3 अरब लोगों को गंभीर या मध्यम स्तर की भूखमरी का सामना करना पड़ा. सूडान में तो मुद्रास्फीति इस वर्ष 245 फीसदी के अविश्वसनीय स्तर तक पहुंच सकती है. ईरान में भी चिकन, अंडे और दूध के दामों में 300 फीसदी की वृद्धि देखी गई है.
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निम्न वर्ग कहीं ज्यादा प्रभावित
अकाल, आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे, ऊर्जा के ऊंचे दाम और उर्वरक की कीमतों के कारण दुनियाभर में खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसकी ज्यादा मार विकासशील देशों के निम्न वर्ग के लोगों पर पड़ रही है और उनके लिए भरपेट खाने का इंतजाम कर पाना भी मुश्किल हो गया है. संभवतः इसे ही देखकर तमाम विशेषज्ञ आर्थिक मंदी की दस्तक की चेतावनी दे रहे हैं. उस पर बढ़ते खर्चों को काबू में करने के लिए कई बड़ी कंपनियों को छंटनी करनी पड़ी है, इससे भी लोगों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ रहा है.
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