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भारत-जापान ने पाकिस्तान से आतंकी ढांचे के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को कहा

अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों ने ‘टू प्लस टू’ वार्ता की नई रूपरेखा के तहत विवादित दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत क्षेत्र में बदलते सुरक्षा परिदृश्य और सैन्य उपकरणों के सह विकास में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों समेत कई रणनीतिक मामलों पर चर्चा

Updated on: 30 Nov 2019, 11:14 PM

दिल्ली:

भारत और जापान ने विदेश तथा रक्षा मंत्री स्तर की शनिवार को हुई पहली वार्ता में पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी नेटवर्कों से क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को पैदा हो रहे खतरों पर गहरी चिंता जताई और उससे आतंकवाद से निपटने के लिए ‘‘ठोस एवं स्थिर’’ कार्रवाई करने को कहा. अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों ने ‘टू प्लस टू’ वार्ता की नई रूपरेखा के तहत विवादित दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत क्षेत्र में बदलते सुरक्षा परिदृश्य और सैन्य उपकरणों के सह विकास में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों समेत कई रणनीतिक मामलों पर चर्चा की.

उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को पहचानते हुए समुद्री सुरक्षा संबंधों को और विस्तार देने का फैसला किया तथा अधिग्रहण एवं सीमा पार सेवा समझौता (एसीएसए) के लिए वार्ता में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया. इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य साजो-सामान का इस्तेमाल कर सकेंगे. दोनों देशों ने क्षेत्र और विश्व के सामने मौजूद सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करते हुए पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी नेटवर्कों से सुरक्षा को पैदा हो रहे खतरे का विशेष रूप से जिक्र किया और उससे विशेष रूप से अपील की कि वह ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य दल’ (एफएटीएफ) द्वारा बताए कदम उठाने समेत आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का ‘‘पूरा पालन’’ करे.

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया, जबकि जापान का नेतृत्व वहां के विदेश मंत्री तोशीमित्शु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो ने किया. भारत और जापान ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘मंत्रियों ने सभी देशों की ओर से यह सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश पर आतंकवादी हमले करने के लिए नहीं किया जाए.’’ बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने इस संदर्भ में पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी नेटवर्कों से क्षेत्रीय सुरक्षा को पैदा हो रहे खतरे को रेखांकित किया और उससे अपील की कि वह आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस एवं स्थायी कदम उठाए तथा एफएटीएफ के प्रति प्रतिबद्धताओं समेत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरा पालन करे.’’

भारत और जापान ने सभी देशों से अपील की कि वे आतकंवादियों की पनाहगाह और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, आतंकवादी नेटवर्कों को बाधित करने, उन्हें वित्तीय मदद देने वाले माध्यमों को समाप्त करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियां रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं. दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं समृद्धि बढ़ाने में मदद मिलेगी. जापानी पक्ष ने सुरक्षित, स्थायी, समृद्ध एवं स्थायी समुद्री क्षेत्र के लिए बैंकॉक में हालिया पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में ‘हिंद प्रशांत महासागरीय पहल’ की भारत की घोषणा की सराहना की और इस पहल के आधारित सहयोग पर चर्चा करने की इच्छा जताई.

उल्लेखनीय है कि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने सैन्य और आर्थिक प्रभाव का तेजी से विस्तार कर रहा है जो कई देशों की चिंता का कारण है. इससे पहले, जापानी विदेश मंत्री मोतेगी और जापानी रक्षा मंत्री तारो कोनो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. मोदी ने कहा कि भारत का जापान के साथ संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता की उसकी दृष्टि का एक प्रमुख तत्व है. संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने दक्षिण चीन सागर में हालिया घटनाक्रमों पर चर्चा की और क्षेत्र में नौवहन एवं उसके ऊपर उड़ान भरने की स्वतंत्रता की महत्ता की पुन: पुष्टि की.

दोनों पक्षों ने समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) समेत अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार कानूनी एवं राजनयिक प्रक्रियाओं के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की अपील की. मंत्रियों ने कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति पर चर्चा करते हुए इस बात की महत्ता की पुन: पुष्टि की कि उत्तर कोरिया प्रासंगिक सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुसार सभी रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों और सामूहिक विनाश के सभी हथियारों को पूरी तरह, पुष्ट तरीके से और स्थायी रूप से नष्ट करे. संयुक्त बयान में बताया गया कि मंत्रियों ने उत्तर कोरिया द्वारा हाल में किए गए बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों की निंदा की. पिछले साल 13 वें भारत-जापान वार्षिक सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे द्वारा लिए गए एक फैसले के बाद नयी ‘टू प्लस टू’ रूपरेखा के तहत यह वार्ता हुई जिसमें भारत-जापान के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग के विभिन्न महत्वपूर्ण आयामों पर भी चर्चा की गई.