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श्रीलंका में गहराया राजनीतिक संकट, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा संसद भंग करने का फैसला, चुनाव पर भी लगी रोक

गौरतलब है कि सिरीसेना ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (PM Ranil Vikramasinghe) को पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर पूर्व प्रेजिडेंट महिंद्रा राजपक्षे को नियुक्त किया था.

Updated on: 13 Nov 2018, 09:10 PM

नई दिल्ली:

श्रीलंका (Sri Lanka) की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना (President Matripal Sirisena) की ओर से जारी संसद भंग करने के फैसले को पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सिरीसेना को बड़ा झटका देते हुए उनकी ओर से की जा रही चुनाव की तैयारियों पर भी रोक लगा दी है. सर्वोच्च अदालत के इस फैसले जहां एक तरफ सिरिसेना को बड़ा झटका लगा है वहीं विक्रम सिंघे ने इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है.

गौरतलब है कि सिरीसेना ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (PM Ranil Vikramasinghe) को पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर पूर्व प्रेजिडेंट महिंद्रा राजपक्षे को नियुक्त किया था. इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद सिरीसेना ने संसद भंग करते हुए नए चुनाव का फैसला लिया था. अब इस पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भारत के पड़ोसी द्वीपीय देश में राजनीतिक संकट और गहरा हो गया है.

चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. सुनवाई के दौरान अदालत में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी. जजों ने कमांडोज की घेरेबंदी के बीच यह अहम निर्णय दिया.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपदस्थ किए गए रानिल विक्रमसिंघे ने खुशी जताते हुए ट्वीट किया है.

विक्रमसिंघे ने लिखा, 'जनता को पहली जीत मिली है. अभी और बढ़ना है और अपने प्यारे देश में लोगों को एक बार फिर से संप्रभुता की बहाली करनी है.'

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गौरतलब है कि श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नैशनल पार्टी ने सिरीसेना के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. उनकी याचिका पर ही यह फैसला आया है. बता दें कि संसद भंग करने के साथ ही सिरीसेना ने 5 जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी.