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जन परियोजनाओं के लिए धार्मिक स्थलों की जमीन ले सकती है सरकार: इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि सरकार जनता की सुविधा से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं के लिए धार्मिक स्थलों की जमीन अधिग्रहीत कर सकती है।

Updated on: 24 Dec 2016, 07:00 PM

highlights

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जन परियोजनाओं के लिए धार्मिक स्थलों की जमीन ले सकती है सरकार
  • चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन बनाम नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मामले में आया फैसला

New Delhi:

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि सरकार जनता की सुविधा से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं के लिए धार्मिक स्थलों की जमीन अधिग्रहीत कर सकती है।

चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन की तरफ से दायर की गई याचिका पर फैसला देते हुए जस्टिस वी के शुक्ला और जस्टिस एम सी त्रिपाठी की पीठ ने यह फैसला दिया। चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन ने नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से किए गए अधिग्रहण को चुनौती दी थी।

याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने हालांकि उदारवादी रुख अपनाते हुए कहा कि क्रिसमस के पहले चर्च को गिराना मुनासिब नहीं होगा। कोर्ट ने चर्च को गिराए जाने पर एक महीने के लिए रोक लगा दी। कोर्ट ने एनएचएआई और चर्च को चर्च के साथ कब्रगाह को इस बीच किसी और जगह स्थानांतरित किए जाने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि एनएचएआई ने आगरा-एटावा बायपास के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था और इस दौरान चर्च की जमीन का भी अधिग्रहण कर लिया।

चर्च ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजंस) एक्ट 1991 के तहत चर्च की जमीन के इस्तेमाल को नहीं बदला जा सकता। हालांकि पीठ ने चर्च की दलील को ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा, 'संबंधित कानून किसी एक मजहब के धार्मिक स्थल को दूसरे मजहब के धार्मिक स्थल में बदलने से रोकने का प्रावधान करता है।'