Uttarakhand: चार धाम यात्रा पर निकले पर्यटकों ने हर तरफ फैलाया प्लास्टिक का कूड़ा, विशेषज्ञों ने चेताया
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पर लाखों लोग पहुंचते हैं. पूरे देश से श्रद्धालुओं के पहुंचने की वजह से पहाड़ों पर काफी भीड़ हो जाती है. भीड़ से तो निपटा जा सकता है, लेकिन ये भीड़ अपने साथ लाया सारा प्लास्टिक का कूड़ा यहीं पहाड़ों पर छोड़ देती है,...
highlights
चार धाम यात्रा मार्ग पर कूड़ा ही कूड़ा
पहाड़ों को गंदा कर रहे हैं पर्यटक
विशेषज्ञों ने चेताया, मान जाओ या फिर...
देहरादून:
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पर लाखों लोग पहुंचते हैं. पूरे देश से श्रद्धालुओं के पहुंचने की वजह से पहाड़ों पर काफी भीड़ हो जाती है. भीड़ से तो निपटा जा सकता है, लेकिन ये भीड़ अपने साथ लाया सारा प्लास्टिक का कूड़ा यहीं पहाड़ों पर छोड़ देती है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, केदारनाथ के आसपास हर तरफ प्लास्टिक का कूड़ा फैल रहा है. ये सारा कूड़ा पर्यटकों, श्रद्धालुओं के साथ आया था और अब यहीं रह गया है. विशेषज्ञों ने चेताया है कि ऐसा करना पर्यावरण के लिए न सिर्फ नुकसान देह है, बल्कि साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा जैसी और भी भयंकर आपदाओं को जन्म दे सकता है.
बता दें कि सोशल मीडिया पर भी इस बारे में काफी तस्वीरें, वीडियो वायरल रहे हैं, जिसमें हर तरफ प्लास्टिक की पन्नियां बिखरी/उड़ती दिख रही हैं. ऐसे में गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में जिओग्राफी डिपार्टमेंट के हेड डॉ एमएस नेगी ने कहा है कि लोगों का ऐसा करना बेहद गलत है. उन्होंने कहा कि केदार नाथ में सिर्फ कूड़ा ही नहीं दिख रहा, बल्कि वो पहाड़ों के इको सिस्टम को भी काफी नुकसान पहुंचा रहा है. डॉ नेगी ने कहा कि प्लास्टिक का ये कूड़ा लैंडस्लाइड जैसे हादसों को जन्म दे सकता है.
डॉ एमएस नेगी ने कहा कि हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि साल 2013 में क्या हुआ था. उन्होंने बताया कि हमें बेहद सावधान रहने की जरूरत है, वर्ना साल 2013 जैसी आपदा फिर से आ सकती है.
The tourist inflow has risen manifold due to which plastic garbage has increased as we don't have proper sanitation facilities. This has affected the natural vegetation. Medicinal plants are getting extinct as well:Prof. MC Nautiyal, Director, HAPPRC pic.twitter.com/ElPTlaCP8l
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 22, 2022
HAPPRC के डायरेक्टर प्रो एमसी नौटियाल ने भी यही बात दोहराई. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में लोगों के पहुंचने की संख्या काफी बढ़ चुकी है. पहाड़ों पर व्यापक स्तर पर साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, जिसकी वजह 2013 जैसे हादसों का डर हमेशा बना रहता है.
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