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प्रशासनिक अधिकारियों के जमीन विवाद में निषेधाज्ञा देने से इलाहाबाद HC नाराज

इलाहाबाद HC ने कहा, प्रमुख सचिव सभी जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करें कि भूमि संबंधी निजी विवादों में वे निषेधाज्ञा जैसे आदेश जारी न करें.

Updated on: 05 Jul 2022, 10:33 PM

highlights

  • याचिका पर अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने बहस की
  • मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा के आदेश को चुनौती दी गई है

नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने संपत्ति विवादों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा जैसे आदेश करने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है. अदालत ने अधिकारियों को आगाह किया है कि मनमाने आदेश न करें. साथ ही कहा कि प्रमुख सचिव सभी जिलाधिकारियों  की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करें कि भूमि संबंधी निजी विवादों में वे निषेधाज्ञा जैसे आदेश जारी न करें. यह काम अदालतों का है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने मथुरा के श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर दिया है. 

याचिका पर अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने बहस की. इनका कहना था कि याची ने मेरठ-हापुड़ रोड पर आवासीय योजना का निर्माण शुरू किया. यह क्षेत्र प्रदेश सरकार की अधिसूचना के बाद मथुरा नगर निगम की सीमा में आ गया था. याची ने मथुरा विकास प्राधिकरण से भवन का नक्शा भी पास कराया है. इसके बावजूद कुछ लोगों ने याची को परेशान करने की नीयत से एसडीएम सदर को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर कहा कि कृषि भूमि पर निर्माण हो रहा है. यह भू-राजस्व अधिकारियों के क्षेत्राधिकार में आती है. एसडीएम सदर ने तथ्यों की जांच किए बगैर एकपक्षीय निषेधाज्ञा का आदेश कर दिया और निर्माण पर रोक लगा दी. 

अदालत ने एसडीएम सदर, मथुरा के निषेधाज्ञा का आदेश करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट में ऐसी याचिकाओं की बाढ़ आ गई है, जिनमें प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीन संबंधी विवादों में मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा के आदेश को चुनौती दी गई है. ऐसा करके राज्य सरकार के आदेशों की अनदेखी की जा रही है. अदालत ने डीएम मथुरा को आदेश दिया कि स्वयं इस मामले की जांच कर सकारण आदेश करें और यदि याची का दावा सही पाया जाता है तो उसके निर्माण कार्य करने में हस्तक्षेप न किया जाए. साथ ही प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि इस मामले को स्वयं देखें और जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करें कि अफसर मनमाने तरीके से आदेश न करें.