AP Election 2024: आंध्र प्रदेश चुनाव पर जातिगत समीकरण कैसे पड़ रहे भारी?
आंध्र प्रदेश की राजनीति में, सत्तारूढ़ YSRCP और विपक्षी NDA (TDP-JSP और BJP) खुद को पिछड़े वर्गों का हितेशी बताते हैं, हालांकि सूबे की फिलहाल की सियासी स्थिति इससे बिल्कुल उलट पेश आ रही है.
नई दिल्ली :
Andhra Pradesh Assembly polls: आंध्र प्रदेश की राजनीति में, सत्तारूढ़ YSRCP और विपक्षी NDA (TDP-JSP और BJP) खुद को पिछड़े वर्गों का हितेशी बताते हैं, हालांकि सूबे की फिलहाल की सियासी स्थिति इससे बिल्कुल उलट पेश आ रही है. दरअसल जैसे-जैसे आंध्रा विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे अनारक्षित सीटों के लिए रेड्डी, कम्मा और कापू समुदायों के उम्मीदवार सामने आए हैं, जोकि आंध्र प्रदेश की जाति-आधारित राजनीति का स्पष्ट संकेत है.
गौरतलब है कि, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अधिकांश टिकट कम्मा और रेड्डी समुदायों को दिए गए हैं. सूबे की मुख्य राजनीतिक पार्टियां YSRCP और TDP भी इन्हें ही आधार बनाकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करती आई है. जहां एक तरफ TDP कम्मा समुदाय से जुड़ी है, तो वहीं YSRCP रेड्डी समुदाय की करीबी है. यही वजह है कि, पिछड़ा वर्ग, जो आबादी का लगभग 35% हिस्सा है, खुद को कम्मा और रेड्डी समुदायों के प्रभुत्व से प्रभावित पाता है.
जाति-आधारित राजनीति का ट्रेंड
आंध्र प्रदेश में आगामी चुनावों से जाति-आधारित राजनीति का ट्रेंड सामने आया है, जिसमें रेड्डी, कम्मा और कापू समुदायों के उम्मीदवार अनारक्षित सीटों के लिए सबसे आगे उभर रहे हैं. सत्तारूढ़ YSRCP और NDA ने इन समुदायों के उम्मीदवारों को 80 से अधिक सीटें आवंटित की हैं, जिससे सत्ता पर उनकी पकड़ और मजबूत हो गई है.
किस जाती के कितने उम्मीदवार
YSRCP और उसके NDA सहयोगियों ने आगामी चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसमें 78 उम्मीदवारों के साथ रेड्डी समुदाय के सबसे अधिक संख्या में उम्मीदवार हैं. इनमें से 49 को वाईएसआरसीपी ने मैदान में उतारा है, जबकि बाकी 29 एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे. वहीं कापू समुदाय दूसरे स्थान पर है, जिसके 41 उम्मीदवार विधानसभा सीटों के लिए मैदान में हैं. इनमें से 23 को YSRCP ने चुना है, जबकि NDA ने 18 उम्मीदवारों का चयन किया है.
आंध्रा की सियासत में जातियों का बढ़ता प्रभाव
हालांकि सत्तारूढ़ YSRCP ने 41 निर्वाचन क्षेत्रों से पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का वादा किया है. वहीं NDA ने कम्मा और रेड्डी समुदायों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है, जबकि पिछड़े वर्ग के नेताओं को चुनावी प्रक्रिया में हाशिए पर रखा गया है. यानि विधानसभा टिकटों का आवंटन आंध्रा की सियासत में जाति संघों के निरंतर बढ़ते प्रभाव को साफ तौर पर पेश करता है.
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