राजस्थान में अशोक गहलोत का चलेगा 'जादू' या पायलट भरेंगे 'उड़ान'
अजय माकन ने दोनों गुटों की बातों को सुनने के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को अपना फीडबैक दिया. इसके बाद पार्टी ने तय किया कि राजस्थान के संकट को अब और नहीं टाला जा सकता है.
highlights
- पार्टी प्रभारी महासचिव अजय माकन जयपुर में डेरा डाले हुए हैं
- प्रियंका गांधी के निर्देशन में राजस्थान में हो रहा फेरबदल
- अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान
जयपुर:
राजस्थान में आज यानि रविवार को कैबिनेट विस्तार होगा. यह विस्तार तीन मंत्रियों के इस्तीफे के बाद होने जा रहा है. कैबिनेट के इस फेरबदल को सीएम अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सत्ता संघर्ष के रूप में देखा जा रहा है. उक्त दोनों नेताओं में चल रहे शह-मात के खेल ने कांग्रेस का संकट बढ़ा दिया है. पार्टी प्रभारी महासचिव अजय माकन जयपुर में डेरा डाले हुए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मिलकर वह सरकार और संगठन के मुद्दे पर कई चक्र बात किए, और दोनों गुटों की बातों को सुनने के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को अपना फीडबैक दिया. इसके बाद पार्टी हाईकमान ने तय किया कि राजस्थान के संकट को अब और नहीं टाला जा सकता है. समय रहते बीमारी का इलाज जरूरी हो गया है. राजस्थान में आज यानि रविवार को 15 मंत्री शपथ लेंगे. शपथ लेने वाले मंत्री गहलोत और पायलट दोनों गुटों के हैं. कांग्रेस इस फेरबदल से सरकार में संतुलन बनाना चाहती है.
15 ministers to take oath on Sunday in Rajasthan, Congress seeks to strike balance
— ANI Digital (@ani_digital) November 20, 2021
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कांग्रेस के सामने मध्य प्रदेश और पंजाब दो उदाहरण हैं, जहां बड़े नेताओं की आपसी लड़ाई ने सरकार और संगठन को काफी नुकसान पहुंचाया. राजस्थान में चुनाव भले ही 2023 में होने हैं लेकिन वहां गहलोत और पायलट गुट के बीच चल रही खींचतान जिस मुकाम तक आ पहुंची है, उसे देखते हुए गांधी परिवार ओवर एक्टिव मोड में आ गया है क्योंकि वह न तो पंजाब वाले हालात दोहराना चाहता है और न ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदल लेने से मध्य प्रदेश की तरह ही अपनी सत्ता खोना चाहता है. अब पार्टी हाईकमान राजस्थान में कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है. समय रहते हुए वह बीमारी का उचित इलाज करना चाहती है.
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राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष में किसका पलड़ा भारी होगा, इस पर सबकी निगाहें लगी हैं. सचिन पायलट एक बार बागी भूमिका अख्तियार कर चुके थे. काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस इस संकट से उबर सकी. इसके बाद भी गहलोत और पायलट गुटों में आपसी खींचतान कम नहीं हुई है. अब सवाल यह है कि इसके बाद क्या दोनों गुटों में सुलह होगी और गहलोत का सियासी मैनेजमेंट कामयाब होगा.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है. हर संकट में वह सियासी जादूगरी दिखाकर बाहर निकलते रहे हैं. राजस्थान और पार्टी हाईकमान उनके सियासी जादू का लोहा मानता रहा है. पार्टी के ओल्ड गार्ड्स उनके पक्ष में लॉबिंग करते रहे हैं. जिससे सचिन पायलट की अपेक्षा वह मजबूत होकर उभरते रहे हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निजी जीवन को देखा जाए को उनका जन्म जोधपुर के लक्ष्मण सिंह के घर 3 मई 1951 को हुआ था. गहलोत के पिता लक्ष्मण सिंह बेहतरीन जादूगर थे. देश में घूम-घूमकर जादू दिखाया करते थे. अशोक गहलोत भी अपने पिता के साथ घूमे और कई स्टेज पर जादू भी दिखाया. इन्होंने विज्ञान और कानून में स्नातक तथा अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर रखी है, लेकिन बाद में राजनीति में प्रवेश किया तो अपनी जादूगरी को सियासी जादू में तब्दील कर दिया. गहलोत का यह जादू पार्टी के अंदर और बाहर समान रूप से चलता रहा.
बीते कई दिनों से राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट गुट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट में खींचतान की खबरें सामने आती रही हैं. ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू कायम रहेगा या फिर सचिन पायलट का जलवा बरकार रहेगा?
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