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बैंक ने गलती से बना दिये एक खाते के दो मालिक, एक पैसा डालता रहा, दूसरा निकालता रहा

हम समझ रहे थे कि मोदीजी हमें पैसा दे रहे हैं. हमारे खाते में पैसा आया तो हमने निकाल लिया. हमारे पास पैसा नहीं था. हमारी मजबूरी थी, इसलिए पैसा निकाला.

Updated on: 22 Nov 2019, 11:54 PM

भिंड:

मध्य प्रदेश के भिंड जिले के आलमपुर कस्बे में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक शाखा में बैंक द्वारा एक ही नाम के दो लोगों को कथित रूप से एक ही बचत खाता नंबर जारी करने की लापरवाही का मामला सामने आया है. इसके चलते इस खाते का एक मालिक इसमें अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा डालता रहा और दूसरा मालिक यह समझकर इसमें से थोड़ा-थोड़ा करके निकालता रहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विभिन्न योजनाओं के तहत उसे पैसा दे रहे हैं. ऐसा कर उसने इस खाते से करीब 89,000 रुपये की राशि निकाल ली.

एसबीआई आलमपुर के प्रबंधक राजेश सोनकर ने शुक्रवार को ‘भाषा’ को बताया, ‘‘हुकुम सिंह नाम के दो लोगों को हमारे बैंक द्वारा एक ही बचत खाता नंबर जारी कर दिया गया. यह लिपिकीय गलती के कारण हुआ.’’ उन्होंने कहा कि इसके बाद इस खाते का एक मालिक रूरई गांव निवासी हुकुम सिंह इस खाते में वर्ष 2016 से पैसे डालता रहा और दूसरा मालिक रौनी निवासी हुकुम सिंह पिछले साल से बैंक आकर इसमें से पैसे निकालता रहा. सोनकर ने बताया कि घटना का पता 16 अक्टूबर 2019 को उस वक्त चला, जब रूरई के हुकुम सिंह ने बैंक आकर अपने खाते की स्थिति देखी.

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उन्होंने कहा ,‘‘मैंने चार माह पहले ही इस शाखा का कार्यभार संभाला है और इस मामले की हम जांच कर रहे हैं. खाते से जिसने रुपये निकाले है, उससे रिकवरी की जाएगी.’’ एसबीआई आलमपुर शाखा भिंड जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है. इस खाते में पैसा जमा करने वाले खाता मालिक रूरई गांव निवासी हुकुम सिंह ने बताया, ‘‘मैंने इस बैंक में वर्ष 2016 में खाता खुलवाया था. तब से पैसा डालता रहा. जब पैसा जमा हुआ तो मैंने प्लॉट लेने की सोची. मैं पैसे निकालने 16 अक्टूबर को बैंक गया तो पाया कि मेरे खाते में से 89,000 रुपये किसी ने पहले ही निकाल लिया है. बैंक वाले कहते हैं, जवाब देंगे. चक्कर काटते-काटते एक महीना हो गया है. लेकिन अब तक मुझे मेरे खाते से निकला हुआ 89,000 रुपये दिलवाया नहीं है.’’

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वहीं, इस खाते से पैसा निकालने वाले खाता मालिक रौनी निवासी हुकुम सिंह ने कहा, ‘‘हमारा खाता था. हम समझ रहे थे कि मोदीजी हमें पैसा दे रहे हैं. हमारे खाते में पैसा आया तो हमने निकाल लिया. हमारे पास पैसा नहीं था. हमारी मजबूरी थी, इसलिए पैसा निकाला. बैंक वालों की लापरवाही मानी जाएगी.’’ मालूम हो कि ग्राम रूरई निवासी हुकुम सिंह पुत्र रामदयाल ने वर्ष 2016 में खाता खुलवाया था और इसके दो वर्ष बाद ग्राम रौनी निवासी हुकुम सिंह ने भी इसी बैंक में अपना खाता खुलवाया था. बैंक ने दोनों ही खातों की पासबुक में सिर्फ फ़ोटो अलग-अलग लगाये, जबकि पते से लेकर नाम और खाता क्रमांक एक समान कर देने के कारण ये मामला घटित हुआ. खाता खुलवाने के उपरांत रूरई निवासी हुकुम सिंह हरियाणा में पानी-पूरी का रोजगार करने चला गया और जब वह घर पर आता था तो अपने खाते में पैसे जमा कर देता था, जबकि रौनी निवासी हुकुम सिंह बैंक से अपने खाते से रुपये निकालता रहा.