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कब होगी बालू घाटों की नीलामी? तस्करों की कट रही है चांदी

बालू घाटों की नीलामी न होने से झारखंड में बालू तस्करों की चांदी कट रही है. न सिर्फ सरकारी खजाने को राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि निर्माण कार्य भी महंगा हो गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित लोग हैं.

Updated on: 22 Apr 2023, 05:12 PM

highlights

  • विकास कार्यों पर रोक
  • बालू संकट पर सियासत
  • प्रधानमंत्री आवास का काम रुका

Ranchi:

बालू घाटों की नीलामी न होने से झारखंड में बालू तस्करों की चांदी कट रही है. न सिर्फ सरकारी खजाने को राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि निर्माण कार्य भी महंगा हो गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित लोग हैं. ऐसे में अब सरकार पर घाटों की नीलामी को लेकर दबाव बढ़ता दिख रहा है. बालू तस्कर जमकर तस्करी का गोरखधंधा चला रहे हैं और एक ट्रैक्टर बालू तीन से चार हजार रुपए में बेच रहे हैं. सरकार घाटों की नीलामी ना करने के पीछे कभी NGT के रोक का तो कभी कुछ और हलावा देती है, इससे बालू घाटों पर काम करने वाले मजदूरों पर रोजगार का संकट भी गहरा रहा है.

विकास कार्यों पर रोक

आम जनता को बालू ना मिलने से विकास कार्यों पर भी रोक लग गई है और इससे सबसे ज्यादा परेशानी पीएम आवास योजना के लाभुकों को हो रही है, जिन्हें बालू ना मिलने से आवास निर्माण में परेशानी आ रही है. वहीं, अब झारखंड फेडरेशन चैंबर ने भी बालू घाटों की नीलामी पर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. चेम्बर के अध्यक्ष की मानें तो राज्य में बालू घाटों की नीलामी तीन साल से नहीं की गई है. ऐसे में राज्य में इससे जुड़े कारोबार को भी बड़ा झटका लगा है. मजदूर राज्य छोड़ने को मजबूर हैं.

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बालू संकट पर सियासत

बालू के संकट के बीच प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है. जहां बीजेपी एक बार फिर इस मुद्दे की आड़ में सरकार पर प्रहार करने में लगी है. बीजेपी का कहना है कि हेमंत सरकार में बालू और पत्थरों की लूट मची है. लोगों को मुश्किल से बालू मिल रही है, लेकिन तस्करी कर बाहर आसानी से भेजी जा रही है. वहीं, गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस अलग ही राग अलाप रही है. कांग्रेस की मानें तो प्रदेश में बालू की कोई किल्लत ही नहीं है और निर्माण कार्य भी जोरों से चल रहा है. कांग्रेस ने जल्द बालू घाटों की नीलामी का आश्वासन भी दिया.

प्रधानमंत्री आवास का काम रुका

बहरहाल, सत्ता पक्ष  के अपने दावे हैं, लेकिन झारखंड में बालू के किल्लत किसी से छिपी नहीं है. बालू ना मिलने से प्रधानमंत्री आवास का काम रुका है. आम जनता भी कोई निर्माण कार्य बामुश्किल करवा रही है. ऐसे में बस उम्मीद की जा सकती है कि सरकार जल्द एक्शन में आए और बालू घाटों की नीलामी करें ताकि मजदूरों को रोजगार मिले, बालू तस्करी पर लगाम लगे और विकास कार्य भी शुरू हो सके.

रिपोर्ट : महक मिश्रा