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पलामू में भीषण गर्मी से त्राहिमाम, इंसान तो इंसान अब जानवर भी परेशान

पलामू में भीषण गर्मी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. इंसान तो इंसान, अब जानवर भी परेशान हैं. झुलसाने वाली गर्मी के साथ बदइंतजामी की दोहरी मार सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी झेलने को मजबूर हैं.

Updated on: 15 Jun 2023, 04:48 PM

highlights

  • पलामू में भीषण गर्मी से त्राहिमाम
  • इंसान तो इंसान अब जानवर भी परेशान
  • पानी की व्यवस्था करने में विभाग असमर्थ

Palamu:

पलामू में भीषण गर्मी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. इंसान तो इंसान, अब जानवर भी परेशान हैं. झुलसाने वाली गर्मी के साथ बदइंतजामी की दोहरी मार सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी झेलने को मजबूर हैं. दरअसल, जिले में प्रचंड गर्मी के बीच पानी के लिए जंगली जनवर दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. सरकार की ओर से टाइगर रिजर्व और दूसरे वन क्षेत्रों में जानवरों के लिए बेहतर व्यवस्था को लेकर हर साल करोड़ों रुपए दिए जाते हैं, लेकिन जंगली जानवरों की दुर्दशा देख कहना मुश्किल नहीं कि ये पैसा कहां जाता है. अब आलम ये है कि पानी की तलाश में जानवर बेतला नेशनल पार्क से भटकते-भटकते गांव की ओर आ रहे हैं. इनमें से जो जानवर खुशकिस्मत होते हैं, वो तो किसी तरह प्यास बुझा लेते हैं, लेकिन ज्यादातर जंगली जानवर शिकारियों के हत्थे चढ़ जाते हैं.

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पलामू में भीषण गर्मी से त्राहिमाम

बेतला नेशनल पार्क में जंगली जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में जानवर भटकते हुए गांव की ओर चले आते हैं. कुछ अच्छे ग्रामीण तो उनकी मदद करते हैं और पीने के लिए पानी दे देते हैं, लेकिन शिकारियों की नजर पड़ते ही इन जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार वन क्षेत्र से आए हुए जंगली जानवरों की सूचना वन विभाग को दी जाती है, लेकिन वन विभाग के कर्मचारी कभी भी सही समय पर पहुंच नहीं पाते.

इंसान तो इंसान अब जानवर भी परेशान

वहीं, इसको लेकर डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश जेना का कहना है कि पूरे पिटाआर क्षेत्र में पानी की व्यवस्था की गई है, लेकिन प्राकृतिक रूप से जितने भी जल स्रोत हैं वो लगभग सूख चुके हैं. इसी वजह से जानवरों को परेशानी हो रही है. अधिकारी कितने भी दावे क्यों ना कर ले. सच तो यही है कि सरकारी पैसों की बंदरबांट हो जाती है और बदइंतजामी जस के तस रहती है. जबकि सरकार जंगली जानवरों के रख-रखाव के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर देती है. ऐसे में धरातल की ये कड़वी सच्चाई मन को कचोटती भी है और अधिकारियों पर सवाल भी खड़े करती है. जरूरत है कि गर्मी की दस्तक से पहले ही जानवरों के लिए भी पानी की व्यवस्था की जाए.