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एक साल पहले आज के ही दिन हुआ था देवघर रोप-वे हादसा, जानिए कैसे हैं अब हालात

10 अप्रैल 2022, देवघर के इतिहास का वह काला पन्ना है, जिसमें लिखी इबारत के आज एक साल पूरे हो गए. यही वह तारीख थी जब, 766 मीटर लम्बे और 392 मीटर ऊंची पहाड़ी पर रोप-वे हादसा पेश आया था.

Updated on: 10 Apr 2023, 03:12 PM

highlights

  • 10 अप्रैल 2022 को हुआ था देवघर रोप वे हादसा
  • पर्यटन स्थल का हाल बेहाल
  • दोबारा शुरू नहीं हुआ रोप वे 

Deoghar:

10 अप्रैल 2022, देवघर के इतिहास का वह काला पन्ना है, जिसमें लिखी इबारत के आज एक साल पूरे हो गए. यही वह तारीख थी जब, 766 मीटर लम्बे और 392 मीटर ऊंची पहाड़ी पर रोप-वे हादसा पेश आया था. इस हदसे के पेश आने और रेस्क्यू पूरा होने के बीच करीब 12 बारह ट्रोलियों में 48 जिंदगीयां, दो हजार फीट की ऊंचाई पर हवा में लटकती रहीं थी. 10 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे और रेस्क्यू के दौरान तीन को जिंदगी गंवानी पड़ी थी. दिल दहलाने वाले उस हादसे के आज एक साल पूरे हो चुके हैं. आज देवघर के इस पर्यटन स्थल का क्या है हाल बेहाल है. रोप वे बंद होने की वजह से पर्यटकों में कमी आई है. रोजगार पर असर पड़ा है और स्थानीय लोग पलायन पर मजबूर हो चुके हैं.

पर्यटन स्थल का हाल बेहाल

चालीस घंटे, अड़तालिस जिंदिगी और तीन मौतों के खौफनाक मंजर की तस्वीर को पूरे देश में देखा था. दर्दनाक हादसे में 48 जिंदगियां 40 घंटे तक हवा में झूलती रही. उस दौरान जिस तरह से रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ वैसा रेस्क्यू ऑपरेशन पहले कभी नहीं देखा था. यही वजह थी कि ऑपरेशन के पूरा होते ही देश के प्रधानमंत्री ने खुद, रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने में जुटे तमाम अधिकारियों, सेना के जवानों और एनडीआरएफ समेत तमाम एजेंसियों को संबोधित कर उनके काम को सराहा. खासकर देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री को खुद प्रधानमंत्री ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिलाने के लिए शाबाशी दी, लेकिन इस हादसे के बाद इस पर्यटन स्थल का हाल बेहाल हो चुका है. रोप वे बंद होने की वजह से सैलानियों की तादाद कम हो गई है. जिसका सीधा असर इस इलाके के कामगारों और यहां के पर्यटन उद्योग पर पड़ रहा है.

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दोबारा शुरू नहीं हुआ रोप वे 

त्रिकूट रोप वे चालू होने के बाद से ही आस-पास के इलाकों से होने वाला पलायन मानो थम सा गया था, लेकिन हादसे के बाद एक बार फिर पलायन का दौर शुरू हो चुका है. हादसे ने पर्यटन पर ऐसा असर डाला कि लोगों के रोजगार छिन गए. लिहाजा युवाओं के पास रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में जाने के अलावा कोई और चारा नहीं है. त्रिकूट पर्वत पर्यटन स्थल से करीब बीस हजार लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार से जुड़े थे.लोगों को उम्मीद थी कि हादसे की जांच को लेकर बनाई गई कमेटी जल्द अपना रिपोर्ट देगी और दोबारा रोप वे शुरू किया जाएगा. लेकिन, अबतक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. लोगों की आस, आस बनकर ही रह गई है.

रोजी-रोटी का संकट

स्थानीय दुकानदारों से लेकर गाइड और फोटोग्राफर से लेकर पुजारी तक के लिए आज रोजी-रोटी का संकट मुंह बाए खड़ा है. देवघर के इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल की खस्ता होती हालत से ना सिर्फ सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि, यहां बनाए गए तमाम भवन और रोप वे मशीन भी धूल फांक रही हैं. अगर वक्त रहते इस पर्यटन स्थल को दोबारा गुलजार नहीं किया गया तो, मुमकिन है कि, यहां की खूबसूरती और रोमांच किस्से-कहानियां में सिमट कर रह जाएगी.

रिपोर्ट : उत्तम आनंद वत्स