JNU विवाद पर प्रशासन की सफाई: हॉस्टल फीस में नहीं हुई कोई बढ़ोतरी
जेएनयू प्रशासन का कहना है कि यूनिर्विसिटी को 45 करोड़ का घाटा हो रहा है और घाटा बड़े पैमाने पर दिए जा रहे बिजली और पानी के शुल्क की वजह से है
नई दिल्ली:
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच अब इस मामले में जेएनयू प्रशासन का बयान भी सामने आया है. जेएनयू प्रशासन का कहना है कि यूनिर्विसिटी को 45 करोड़ का घाटा हो रहा है और घाटा बड़े पैमाने पर दिए जा रहे बिजली और पानी के शुल्क की वजह से है. इसके अलावा शिक्षकों की सैलरी देने के चलते भी यूनिर्विसिटी को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
प्रशासन का ये भी कहा है कि ये बात पूरी तरीके से गलत है कि जेएनयू ङॉस्टल की फीस बढ़ाई गई है. हमने जेएनयू हॉस्टल की नहीं हॉस्टल का सर्विस चार्ज बढ़ाया है जो अब तक जीरो था. इसके साथ प्रशासन ने ये भी बताया कि यूनिवर्सिटी को हो रहे भारी नुकसान के चलते सर्विस चार्ज बढ़ाना आवश्यन था.
JNU: There is misinformation campaign which says that there is massive hostel fee hike. In reality, service charges are being levied, which have been zero so far. For sustainability of budget which has run into huge deficit, it's necessary to levy service charges in hostel. https://t.co/1SXWexaliU
— ANI (@ANI) November 22, 2019
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बता दें, जेएनयू प्रशासन की ये सफाई ऐसे समय पर सामने आई है जब जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने गुरुवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति से मुलाकात कर छात्रावास शुल्क वृद्धि को पूरी तरह वापस लेने और कुलपति को हटाने की मांग की है. संघ की कार्यकारी समिति ने दो घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में कहा, 'जेएनयू को जिस तरह से शासित किया जा रहा है उससे उत्पन्न समस्याओं से निपटना वर्तमान कुलपति के रहते असंभव है. जेएनयूटीए के 13 प्रतिनिधियों ने एक बयान में कहा कि उन्होंने तीन सदस्यीय समिति को बताया कि वर्तमान संकट कुलपति एम जगदीश कुमार की वजह से 'विश्वविद्यालय में उत्पन्न कुशासन की पराकाष्ठा है.
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शिक्षक संघ ने पैनल को यह भी बताया कि वर्तमान कुलपति किस तरह जेएनयू अधिनियम का 'उल्लंघन' कर रहे हैं और उन्होंने "विश्वविद्यालय के भविष्य को दांव पर लगा दिया है.' बयान में कहा गया है, "विश्वविद्यालय की स्वायत्तता से समझौता करने और प्रशासन को सत्तावादी तरीके से चलाने के लिए कुलपति दोषी हैं, और उनके पद पर बने रहने से जेएनयू में सामान्य स्थिति बहाल करने में दिक्कतें आ रही हैं.
वहीं दूसरी तरफ गुरुवार को ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्रों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया था. छात्रों का विरोध मार्च मंडी हाउस से शुरू होकर शास्त्री भवन तक पहुंचा. छात्रों की ओर से मांग की गई कि छात्रावास की फीस को तुरंत वापस लिया जाए. प्रदर्शन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान भी भारी संख्या में तैनात थे.
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