logo-image

25 मई 2013 की वो दुपहरी जब कांग्रेस के 35 नेताओं और कार्यकर्ताओं के खून से लाल हो गई झीरम

भूपेश बघेल सरकार ने बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र के अंतर्गत झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुई घटना की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का आदेश दिया है.

Updated on: 03 Jan 2019, 08:12 AM

रायपुर:

छत्‍तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र के अंतर्गत झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुई घटना की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का आदेश दिया है. पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश के अनुसार, बस्तर रेंज जगदलपुर के पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद एसआईटी के प्रभारी होंगे. विशेष जांच टीम में सुंदरराज पी. पुलिस उपमहानिरीक्षक (नक्सल अभियान) पुलिस मुख्यालय अटलनगर रायपुर, एम.एल. कोटवानी, सेनानी, सुरक्षा वाहिनी माना (रायपुर), गायत्री सिंह, उप-सेनानी, तीसरी वाहिनी अमलेश्वर(दुर्ग), राजीव शर्मा, उप-पुलिस अधीक्षक सराईपाली (जिला महासमुंद), आशीष शुक्ला, निरीक्षक, जिला रायपुर, प्रेमलाल साहू, निरीक्षक, विशेष आसूचना शाखा, पुलिस मुख्यालय अटलनगर, नरेन्द्र शर्मा, सेवानिवृत्त उप-पुलिस अधीक्षक बिलासपुर, एन.एन. चतुवेर्दी, विधि विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त उप संचालक अभियोजन, जिला रायपुर और डॉ. एम.के. वर्मा, विधि विज्ञान विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त संचालक एफ.एस.एल. सागर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में जिला रायगढ़ निवासी को सदस्य बनाया गया है.

25 मई 2013 की वो दुपहरी. वक्त दोपहर बाद चार बजे का था. विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस का पूरा ध्यान बस्तर में था. इसके लिए प्रदेश में परिवर्तन यात्रा की शुरूआत सुकमा से हो रही थी. अर्से बाद ऎसा समय आया था, जब कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता एक साथ नजर आ रहे थे, यहां तक कि धुर विरोधी माने जाने वाले विद्याचरण शुक्ल और अजीत जोगी भी इस यात्रा में शामिल थे. कांगेस नेताओं का काफिला जैसे ही बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र के अंतर्गत झीरम घाटी में पहुंचा. नक्‍सलियों ने हमला कर दिया.

यह भी पढ़ेंः वंदे मातरम विवाद पर गरमाई सियासत, अमित शाह ने कहा- कांग्रेस मध्यप्रदेश को तुष्टिकरण का केंद्र बना रही

मौके पर करीब 13 वाहनों में माओवादियों ने जमकर गोलियां बरसाई.  कुछ गोलियां वाहनों के आर-पार हो गई. ऎसी स्थिति में किसी को भी गोली शरीर के किसी भी हिस्से में लगी होगी. पूरी रायफल खाली कर दी फायरिंग के बाद महेन्द्र कर्मा बाहर निकले और आत्मसमर्पण कर दिया. कर्मा को माओवादियों ने हाथ बांधकर 200-300 मीटर दूर ले गए और गोलियों से भून दिया. उनके साथ एक पीएसओ भी मारा गया.  माओवादियों ने महेन्द्र कर्मा का नाम लेकर पूछा और पुलिस वालों की भी जानकारी ली.

यह भी पढ़ेंः Chhattisgarh: बदला तो जनता ले चुकी, अब तो कानून अपना काम करेगा : कांग्रेस

इसके बाद पीएसओ को वापस जाने कह दिया. महेन्द्र कर्मा के साथ राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदलियार भी मौजूद थे, जिन्हें फायरिंग के दौरान गोली लगी और घटनास्थल पर ही मौत हो गई.  इस घटना में करीब 150 से अधिक महिला माओवादी शामिल थीं. वे ही ज्यादा उत्पात मचा रही थी. मिशन की सफलता के बाद महिला माओवादी नाचती रहीं. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया था.

इस घटना के तीन दिन बाद राज्य की तत्कालीन बीजेपी सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया था. लेकिन पांच साल बाद भी रिपोर्ट नहीं आने पर कांग्रेस सरकार ने इसे राजनैतिक षड्यंत्र करार देते हुए पूरी घटना की SIT से जांच कराने का फैसला किया.

यह भी पढ़ेंः MP: वंदे मातरम् को लेकर सियासत गर्म, BJP का प्रदर्शन, कमलनाथ बोले- अभी नहीं होगा गान

छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रालय में NIA की विस्तृत जांच रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है. राज्य की कांग्रेस सरकार ने NIA को पत्र लिखकर झीरम कांड का पूरा ब्योरा मांगा है. छत्तीसगढ़ में पांच साल पहले हुए झीरम घाटी हमले की जांच अब SIT से कराई जाएगी. यह जांच शुरू हो इससे पहले NIA से अब तक हुई जांच का निष्कर्ष और फाइनल रिपोर्ट के अलावा केस वापसी की मांग की गई है. राज्य के पुलिस महानिदेशक ने NIA को इस बारे में पत्र लिखा है.

NIA ने इतने बड़े हमले की जांच में न तो बस्तर के तत्कालीन एसपी और आईजी से पूछताछ की और न ही दूसरे जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के अफसरों से. NIA ने अपनी जांच के बाद जो चार्जशीट पेश की थी उसमें कांग्रेस ने कई खामियां पाई थीं. लेकिन तत्कालीन सरकार ने उसकी किसी भी आपत्ति को गंभीरता से नहीं लिया. लिहाजा पार्टी को अंदेशा है कि इस घटना को राजनैतिक षड्यंत्र के तहत अंजाम दिया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने NIA से जल्द से जल्द इस घटना का पूरा ब्योरा मांगा है, ताकि SIT जांच को जल्द शुरू किया जा सके.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि यह राजनैतिक साजिश का हिस्सा है. उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और चुनिंदा नेताओं को षड्यंत्र के तहत मारा गया. अब SIT जांच से हकीकत सामने आएगी. राज्य के डीजीपी डीएम अवस्थी का कहना है कि NIA से पूरा केस वापस मांगा गया है. उन्होंने इसके लिए चिट्ठी भी NIA को भेजी है. उन्होंने SIT के सदस्यों के नामों का खुलासा करने से इंकार कर दिया. इस घटना से पीड़ित राज्य के कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल ने उम्मीद जाहिर की कि उनकी सरकार इस राजनैतिक षड्यंत्र का सच सबके सामने लाएगी और गुनाहगारों को सजा भी मिलेगी.