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बिहार: लॉकडाउन के बीच धरने पर बैठे उपेंद्र कुशवाहा, सरकार को आमजनों की बदहाली के लिए ठहराया जिम्मेदार

रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज बिहार सरकार के खिलाफ सांकेतिक धरना दिया और कई गंभीर आरोप लगाए.

Updated on: 27 May 2020, 05:50 PM

पटना:

रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज बिहार सरकार के खिलाफ सांकेतिक धरना दिया और कई गंभीर आरोप लगाए. कुशवाहा ने आज पटना जिला व बिहार प्रदेश के साथियों के साथ अपनी मांगों को लेकर बिहार के श्रमिकों, किसानों व आमजनों की बदहाली के जिम्मेदार नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकार के विरुद्ध सांकेतिक धरना पर बैठकर नाफरमानी आंदोलन की शुरूआत की. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से निपटने में सरकार पूरी तरह फेल है. बदइंतजामी के कारण आमजनों का जीना दूभर हो चुका है. हमारे साथी सरकार के विरुद्ध बिहार भर में लॉकडाउन के नियमों को तोड़कर धरना पर बैठे हैं. हमारी मांगें मान लेने तक सिविल नाफरमानी आंदोलन जारी रहेगा.

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उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में अपराधियों को अपराध करने की खुली छूट दे रखें हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. दफा 302 का अपराधी प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से लोगों को धमका रहा है. हमारी जनहितकारी मांगों को अविलंब मानें. कुशवाहा ने कहा कि मजदूरों के कल्याण हेतु बनी मनरेगा योजना में घोर भ्रष्टाचार है. कोरोना संकट में जहां श्रमिक भूखें हैं, वहीं बुलेट और स्कार्पियो मालिक मनरेगा की सूची में मजदूर हैं. सरकार मनरेगा योजनाओं एवं उसमें शामिल मजदूरों की सूची हर पंचायत में प्रकाशित करवाये.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार के कारण सैंकड़ों मजदूरों की जगह JCB मशीनें कार्यरत है, भूख से मजदूरों का बुरा हाल है. सरकार जिलावार जेसीबी मालिकों के EMI की पूर्ति करते हुए सभी JCB मशीनों को DM की देखरेख में 3 महीनों के लिए लॉकडाउन करवाए. उन्होंने मांग की कि मनरेगा योजना को पंचायत स्तर पर खेती-किसानी से जोड़कर नीतीश कुमार सरकार, प्रवासी व स्थानीय श्रमिकों को खेतिहर मजदूर के रूप में काम दिलवाने की पहल करे. इससे किसानों व मजदूरों दोनों फायदा होगा. कृषि उत्पादों के लागत मूल्य में कमी होगी.

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उन्होंने सरकार से मांग की कि राज्य में चलाए जा रहे क्वारेंटाइन केंद्रों की बद इंतजामी को  तुरंत दूर करवाए. यहां लोगों के खाने-पीने, साफ-सफाई, चिकित्सा संबंधी सुविधाएं एवं अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था अविलम्ब की जाए. इसके अलावा लॉकडाउन के समय बिहार के बाहर से आ रहे अनेक मजदूरों की रास्ते में दुर्घटना एवं अन्य कारणों से मौत हो गई है, इनके परिजनों को 10-10 लाख और घायलों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा के तौर पर अविलंब दिया जाए.