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स्वामी विवेकानंद के लिए भारतीय विचार श्वास लेने जैसा है: निखिल यादव

इस वर्ष 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के अवसर पर पीजीडीएवी महाविद्यालय की 'भारतीय संस्कृति सभा' द्वारा 'युवा : श्रेष्ठ भारत का आधार' विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया.

Updated on: 13 Jan 2023, 10:07 AM

New Delhi:

उन्नीसवीं शताब्दी में विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और अध्यात्म को एक मजबूत पहचान और प्रतिष्ठा दिलाने वाले स्वामी विवेकानन्द की जयंती प्रत्येक वर्ष 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के रुप में मनायी जाती है. इस वर्ष 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के अवसर पर पीजीडीएवी महाविद्यालय की 'भारतीय संस्कृति सभा' द्वारा 'युवा : श्रेष्ठ भारत का आधार' विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री निखिल यादव (प्रांत युवा प्रमुख, उत्तर प्रांत, विवेकानंद केंद्र, दिल्ली), संरक्षक पीजीडीएवी महाविद्यालय की यशस्वी प्राचार्या प्रो. कृष्णा शर्मा, हिंदी के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अवनिजेश अवस्थी, अर्थशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. अश्वनी महाजन और कार्यक्रम संयोजक के तौर पर वाणिज्य विभाग के प्राध्यापक डॉ. रामवीर सिंह जी रहे. कार्यक्रम की शुरुआत द्वीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई. 

स्वामी विवेकानंद का चिंतन युवाओं में ऊर्जा का संचार करने वाला- डॉ. अवनिजेश अवस्थी

डॉ. अवस्थी ने स्वागत वक्तव्य देते हुए स्वामी विवेकानंद को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुरोधा के रूप में स्मरण किया. उन्होंने विवेकानंद के चिंतन और लेखन पर विचार करते हुए उन्हें युवाओं में ऊर्जा का संचार करने वाला बतलाया. युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दृढ़ संकल्प के आगे कुछ भी कठिन और अप्राप्य नहीं है. युवा ही भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षक हैं.

प्रत्येक दिन स्वामी विवेकानंद का एक विचार लिखें और उस पर विचार करें- प्रो. अश्वनी महाजन


प्रो. महाजन ने प्रस्तावित विषय का परिचय देते हुए स्वामी विवेकानंद को युवाओं के प्रतीक के रूप में याद किया. उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को विश्व पटल पर ले जाने का कार्य विवेकानंद ने ही किया. युवाओं को संबोधित करते हुए प्रो. महाजन ने उनसे समाज में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पुनः स्थापित करने का आग्रह किया.

स्वामी विवेकानंद ने पूरी दुनिया में वेदांत का प्रचार-प्रसार किया: निखिल यादव

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री निखिल यादव ने स्वामी विवेकानंद के अध्यात्म, चिंतन, दर्शन, जीवन सिद्धांत आदि पर तथ्यात्मक विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने विवेकानंद को याद करते हुए कहा कि स्वामी जी ने अपना संपूर्ण जीवन भारत-माता की सेवा में ही लगा दिया. उनके लिए भारतीय विचार हमेशा श्वास लेने जैसा रहा. उन्होंने पूरी दुनिया में वेदांत का प्रचार-प्रसार किया. भारत सहित दुनिया के अनगिनत लोगों ने स्वामी जी को पढ़कर भारत से प्रेम करना सीखा. उनका संपूर्ण चिंतन नकारात्मक विचारों को दूर करने की प्रेरणा देता है. 

'भारतीय संस्कृति सभा' के संयोजक डॉ. रामवीर सिंह ने स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर युवाओं को अपना ध्येय निश्चित करने का आह्वान किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना ने किया. डॉ. गौरव कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. पूरे कार्यक्रम के दौरान संगोष्ठी कक्ष में महाविद्यालय के अनेक प्राध्यापक और सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे.