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रोहतास के हरि नारायण सिंह ने पेश की मिसाल, स्कूल के लिए दिया 20 कट्ठा जमीन

रोहतास के सासाराम प्रखंड के तुंदुआ गांव में हरि नारायण सिंह नामक शख्स ने एक दो कक्ट्ठा नहीं, बल्कि 20 कट्ठा जमीन स्कूल के नाम कर दिया है.

Updated on: 11 Sep 2023, 05:42 PM

highlights

  • हरि नारायण सिंह ने पेश की मिसाल
  • स्कूल के लिए फ्री में दे दी जमीन
  • राज्यपाल के नाम किया 14 डिसमिल जमीन

Rohtas:

रोहतास के सासाराम प्रखंड के तुंदुआ गांव में हरि नारायण सिंह नामक शख्स ने एक दो कक्ट्ठा नहीं, बल्कि 20 कट्ठा जमीन स्कूल के नाम कर दिया है. ये जमीन उन्होंने मौखिक तौर पर नहीं बल्कि राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री कर दी है. हरि नारायण सिंह के इस पहल की जहां तारीफ हो रही है. वहीं, लोगों उन्हें फूल माला पहनाकर स्वागत कर रहे हैं. हरि नारायण सिंहका स्वागत गांव के लोगों ने फूल माला पहनाकर किया. क्योंकि उम्र के इस पड़ाव में जब इन्हें राधे-राधे करना चाहिए. तब उस समय उन्होंने शिक्षा के लिए ऐसा काम किया है, जिससे करने के लिए बड़ा दिल दिखाना पड़ता है. कभी सासाराम प्रखंड के तुंदुआ गांव में नक्सलियों की धमक होती थी. आज इस गांव में शिक्षा का अलख जगाने का काम हरि नारायण सिंह ने किया है. हरि नारायाण सिंह ने गांव में स्कूल के लिए एक दो नहीं बल्कि 20 कट्ठा जमीन राज्यपाल के नाम कर दिया है.

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हरि नारायण सिंह ने पेश की मिसाल

सरकार ने यहां 10 सालों से स्कूल की मान्यता तो दे रखी है, लेकिन जमीन के आभाव में स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा था. जिसकी वजह से गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब हरि नारायण सिंह ने अपनी जमीन स्कूल के नाम कर दी है. जिला अवर निबंधन पदाधिकारी ने भी हरि नारायण सिंह की ओर से 14 डिसमिल जमीन राज्यपाल के नाम रजिष्ट्री करने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि जमीन मिलने से अब भवन निर्माण में आ रही बांधाएं दूर हो जाएगी.

राज्यपाल के नाम किया 20 कट्ठा जमीन

स्कूल के लिए जमीन मिलने से गांव के लोगों में भी खुशी की लहर है. गांव वाले हरि नारायण सिंह का ना सिर्फ स्वागत कर रहे हैं, बल्कि उनकी जय-जयकार कर रहे हैं उनके इस कदम की जमकर सराहना भी कर रहे हैं. स्कूल के लिए जमीन मिलने से सिर्फ गांव के लोग ही खुश नहीं है. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी काफी खुश हैं. शिक्षकों का कहना है कि उनकी नौकरी है, तो स्कूल किसी हाल में तो आना ही है. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही थी. जमीन मिलने से अब भवन बन का निर्माण हो जाएगा और बच्चों को भटना नहीं पड़ेगा.