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दरभंगा में बह रहा काला पानी, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

हमारे देश में नदियों को भगवान माना जाता है. नदियों की पूजा की जाती है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि जिस देश में नदिया पूजी जाती है.

Updated on: 14 Jul 2023, 03:38 PM

highlights

  • दरभंगा में बह रहा काला पानी
  • प्रशासन नहीं ले रहा सुध
  • मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू

 

Darbhanga:

हमारे देश में नदियों को भगवान माना जाता है. नदियों की पूजा की जाती है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि जिस देश में नदिया पूजी जाती है. वहां की नदियां नाले में तब्दील होती जा रही है. हम बात कर रहे हैं दरभंगा के पोखराम गांव की जीवछ नदी की, जो प्रदूषण से सराबोर हो चुकी है. नदी की हालत इतनी बदतर हो गई है कि अब नदी के पानी का रंग काला पड़ चुका है और मछलियां भी दम तोड़ने लगी है. प्रदूषित हो रही नदी पर पहले तो ग्रामीणों का ध्यान नहीं गया, लेकिन जब नदी की मछलियां मरकर किनारों पर दिखने लगी, तो ग्रामीणों में दहशत का माहौल बन गया. 

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दरभंगा में बह रहा काला पानी

हाल ऐसा है कि आदमी से लेकर जानवर तक सभी नदी के आस-पास भटकने से भी परहेज कर रहे हैं. नदी के किनारे हजारों की संख्या में मरी हुई मछलियां लोगों को परेशान कर रही है. ऊपर से मरी हुई मछलियों के गंध से आस-पास लोगों का रहना भी दूभर होने लगा है. स्थानीय लोगों की मानें तो नदी का पानी इतना गंदा हो चुका है कि जानवर भी पानी नहीं पीते. हालांकि लोगों का दावा ये भी है कि नदी रातों रात ही दूषित हुई है और अब मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है.

प्रशासन नहीं ले रहा सुध

मछलियों का मरना ग्रामीणों को इसलिए भी परेशान कर रहा है क्योंकि इस नदी की मछलियों से लोगों की आस्था भी जुड़ी है. दरअसल, मान्यता है कि पचास साल पहले इस गांव में एक बाबा आए थे और नदी के कोनी घाट के किनारे अपनी कुटिया बनाकर रहने लगे थे. कुटी के पास नदी की मछलियों से बाबा प्रेम करते थे. यही वजह है कि इस क्षेत्र के लोग मछलियों को ना ही मारते हैं और ना ही खाते हैं. इतना ही नहीं यहां की मछलियां की प्रसिद्धि इतनी है कि लोग दूर-दूर से आकर उन्हें देखते थे. ऐसे में प्रदूषण की मार से मछलियों की मौत ने लोगों को परेशान कर दिया है. बहरहाल, प्रदूषित हो रही नदी चिंता का विषय है. जरूरत है कि प्रशासन इसपर ध्यान दें. ताकि ग्रामीणों की लाइफलाइन को पुनर्जीवित किया जा सके.