logo-image

बिहार में नीतीश-तेजस्वी को मात देने की कमर कसी बीजेपी ने, रणनीति भी बनाई

भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठनात्मक रूप से किसी भी राजनीतिक पार्टी से मजबूत है. ऐसे में वह बूथस्तर तक नीतीश की 'पलटीमार' छवि को भुनाने की कोशिश में जुट गई है.

Updated on: 11 Aug 2022, 10:48 PM

highlights

  • बीजेपी अब बिहार की पिच पर करेगी खुल कर बैटिंग
  • नीतीश के प्रशंसकों में आई कमी को भुनाएगी बीजेपी
  • साथ ही सामाजिक समीकरण को साध देगी बड़ी मात

पटना:

बिहार (Bihar) में एक बार फिर 'पलटीमार' कर नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ पहुंच गए और भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक झटके में सरकार से बाहर हो गई. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आठवीं बार मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली, तो राजद के नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) उपमुख्यमंत्री बने. राजद के कंघे पर सवार होकर नीतीश फिर से भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए हों, लेकिन भाजपा ने भी नीतीश और तेजस्वी को कड़ी टक्कर देने के लिए रणनीति पर काम प्रारंभ कर दिया है. वैसे सरकार से बाहर होने की मायूसी भाजपा के नेताओं को जरूर है लेकिन इस बात की प्रसन्नता भी है कि अब भाजपा बिहार की सियासत की पिच पर खुलकर बैटिंग कर सकेगी. कार्यकर्ता यही मान रहे थे कि नीतीश कुमार के कारण पार्टी बिहार में खड़ी नहीं हो पा रही थी.

नीतीश की स्वीकार्यता में आई कमी को भुनाएगी
भाजपा ने नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने के बाद से ही जदयू और राजद के किले को ध्वस्त करने को लेकर रणनीति बनाने लगी थी. भाजपा ने दो दिनों के अंदर जहां कोर कमेटी की बैठक की वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने सांसदों और विधायकों के साथ भी बैठकर विचार-विमर्श किया. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की स्वीकार्यता बिहार में कम हुई है, इस कारण नीतीश को मात देने भाजपा आसान मान रही है. भाजपा के एक नेता कहते भी हैं कि नीतीश के प्रशंसकों में भारी कमी आई है. जिस प्रकार पिछले चुनाव में भी देखने को मिला था कि कई स्थानों पर नीतीश कुमार को विरोध का सामना करना पड़ा था.

यह भी पढ़ेंः नीतीश-तेजस्वी 24 अगस्त को चाहते हैं Floor Test, क्यों है दो हफ्ते का अंतर ?

बूथ स्तर पर नीतीश की पलटीमार छवि भुनाएगी बीजेपी
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठनात्मक रूप से किसी भी राजनीतिक पार्टी से मजबूत है. ऐसे में वह बूथस्तर तक नीतीश की 'पलटीमार' छवि को भुनाने की कोशिश में जुट गई है. यहीं कारण है कि प्रथम चरण में जदयू के विश्वासघात को लेकर जिला से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक महाधरना का आयोजन किया गया है. सूत्र बताते हैं कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता राजद के जंगलराज और भ्रष्टाचार की छवि को भी फिर से उभारकर लोगों के बीच जाएंगे. भाजपा के साथ सरकार के बीच भी बिहार में नीतीश कुमार अपराध पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुए और प्रशासनिक भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था. शराबबंदी का उनका कार्यक्रम भी भ्रष्टाचार की एक बड़ी वजह बनकर उभरा है. भाजपा को लगता है कि इन्हीं मुद्दों के सहारे वह नीतीश कुमार की छवि को तोड़ सकती है.

यह भी पढ़ेंः 2024 के चुनावों पर नजर : भाजपा ने सुनील बंसल को दिया बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना का प्रभार

सामाजिक समीकरणों को साथ देगी मात
इसके अलावा भाजपा अपने सामाजिक समीकरण को भी दुरूस्त करने में जुटेगी. भाजपा मानती है कि तेजस्वी के राजद के सर्वेसर्वा नेता के रूप में उभरने के बाद राजद के वोट बैंक यादव और मुस्लिम पर पकड़ कमजोर हुई है. जदयू से बाहर किए गए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के भाजपा में आने के बाद जदयू के वोट बैंक में भी सेंध लगाया जा सकता है, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान यदि भाजपाई खेमे में लौट आते हैं, तो इससे वे दलितों के बीच पकड़ बनाने में अच्छी मदद कर सकते हैं. बहरहाल भाजपा अब विपक्ष में बैठकर बिहार की सियासत में खुलकर बैटिंग करने के मूड में है और नीतीश के राजग से बाहर जाने के बाद भाजपा के कार्यकर्ता भी उत्साहित है. ऐसे में अब देखने वाली बात होंगी कि भाजपा इन राणनीतियों को जमीन पर कैसे उतारती है.