CAA कानून पर RJD की तीखी प्रतिक्रिया, BJP को लेकर कही बड़ी बात
एक तरफ बिहार में सियासी सरगर्मी तेज है तो दूसरी तरफ अब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि, ''ये एक चुनावी स्टंट है, वजह ये है कि इसे लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया गया है.''
highlights
- CAA कानून पर RJD की तीखी प्रतिक्रिया
- कहा- 'जनता का ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है ये कानून'
- CAA पर प्रशांत किशोर भी दे चुके हैं अपनी प्रतिक्रिया
Patna:
Bihar Politics News: एक तरफ बिहार में सियासी सरगर्मी तेज है तो दूसरी तरफ अब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि, ''ये एक चुनावी स्टंट है, वजह ये है कि इसे लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया गया है.'' वहीं बीजेपी इसको लेकर कह रही है कि, ''इसे किसी को नुकसान नहीं है.'' अब इसे लेकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने मंगलवार (12 मार्च) को तीखी प्रतिक्रिया दी है.
आपको बता दें कि सीएए (CAA) पर आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि, ''संविधान हमारा धर्मनिरपेक्ष है. इसमें सभी धर्मों के प्रति सम्मान और साथ लेकर चलने का दिशा निर्देश है. सीएए से एक विशेष समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है. बीजेपी समाज में नफरत फैलाने का काम कर रही है.''
यह भी पढ़ें : देशभर में CAA लागू, शाहनवाज हुसैन ने दिया बड़ा बयान
'जनता का ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है ये कानून' - एजाज अहमद
वहीं आपको बता दें कि एजाज अहमद ने आगे कहा कि, ''पिछले पांच साल में केंद्र सरकार को सीएए की याद क्यों नहीं आई? लोक चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने इसको इसलिए लागू किया है ताकि नाकामियों से जनता का ध्यान भटका सके, लेकिन केंद्र का यह दांव उनको खुद उल्टा पड़ने वाला है. बीजेपी के किसी भी चुनावी एजेंडा में जनता आने वाली नहीं. महंगाई कम क्यों नहीं हुई? हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा पूरा क्यों नहीं हुआ? केंद्र सरकार को इन मुद्दों पर जवाब देना चाहिए.''
इनको मिलेगा भारतीय नागरिकता
इसके साथ ही आपको बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने देशभर में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया है. इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से सोमवार (11 मार्च) को अधिसूचना जारी की गई. वहीं सीएए लागू होने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 तक पड़ोसी देशों - बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम अप्रवासियों, हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. बता दें कि सीएए दिसंबर 2019 में पारित हो गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी. हालांकि, देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके बाद यह कानून लागू नहीं हो सका.
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