पूर्णिया में एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी, 46 सालों से झेल रही असुविधाओं की मार
पूर्णिया में एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी है, जहां हर महीने अरबों का कारोबार होता है. सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि यहां उत्तर प्रदेश और झारखंड के साथ ही कई राज्यों के किसान आते हैं और अपनी फसल व्यापारियों को बेचते हैं.
highlights
- अरबों का कारोबार... मंडी क्यों बीमार?
- ना नाले की व्यवस्था.. ना शौचालय का इंतजाम
- 46 सालों से मंडी को विकास का इंतजार
- नहीं सुनी जा रही किसानों, व्यापारियों की गुहार
Purnia:
पूर्णिया में एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी है, जहां हर महीने अरबों का कारोबार होता है. सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि यहां उत्तर प्रदेश और झारखंड के साथ ही कई राज्यों के किसान आते हैं और अपनी फसल व्यापारियों को बेचते हैं. इस मंडी से सरकार भी करोड़ों का राजस्व कमाती है, लेकिन मंडी की बदहाली ऐसी कि देखने वाला दांतों तले उंगलियां दबा ले. पूर्णिया की गुलाबबाग आनाज मंडी बीते 46 सालों से असुविधाओं की मार झेलने को मजबूर हैं. मंडी की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इतनी बड़ी मंडी में नाले तक की व्यवस्था नहीं है. बरसात में दिनों में मंडी में घुटने भर पानी लग जाता है. चलना मुश्किल हो जाता है. पानी के साथ ही यहां शौचालय का भी इंतजाम नहीं है, लेकिन ना ही किसी जनप्रतिनिधि और ना ही किसी अधिकारी का ध्यान इसपर जाता है. चुनावी मौसम में नेता वादे कर जाते हैं और चुनाव खत्म होते ही मंडी का रास्ता भूल जाते हैं.
अरबों का कारोबार
मंडी की ये हालत तब है जब यहां बिहार, झारखंड और यूपी के 62 जिलों के किसान आते हैं. हर महीने इस मंडी में डेढ़ अरब का कारोबार होता है. सरकार को भी करोड़ों का राजस्व मिलता है. मंडी में लोगों को रोजगार भी मिलता है. हालांकि मंडी की बदहाली को देख 20 अप्रैल को पूर्णिया के सांसद ने मंडी में विकास कार्य का जीणोद्धार किया था, लेकिन ये भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. क्योंकि स्थानीय व्यपारियों ने ही इस पूरे विकास कार्य पर सवाल खड़े कर दिए. इससे जुड़ा एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यपारी निर्माण कार्य में इस्तेमाल हो रहे ईंट को हाथ में लेता है और जमीन पर पटकता है तो ईंट कुछ सेंकेंड में ही चूरा बन जाता है. अब सवाल उठता है कि जो ईंट इतनी खराब गुणवत्ता ही हो उससे भवन निर्माण कैसे होगा.
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मंडी को विकास का इंतजार
पूर्णिया गुलाबबाग मंडी में हर रोज एक हजार ट्रक आते हैं, जबकि 2 हजार ट्रैक्टर और तीन हजार छोटी गाड़ियां आती हैं और हाट वाले दिन तो गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो जाती है. पार्किंग नहीं होने से सड़कों पर लंबा जाम लगता है. मंडी में भी गंदगी का अंबार लगा रहता है. खरीददारी करने आए व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं, व्यापारियों और किसानों की परेशानी और मंडी में होने वाले घटिया निर्माण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष का कहना है कि ये गंभीर मुद्दा है. जिसपर जांच की जरूरत है.
सालों से बदइंतजामी की मार झेलने वाले यहां के व्यापारियों को विकासकार्यों की शुरूआत के बाद एक उम्मीद जरूर जगी थी, लेकिन निर्माण कार्य में होने वाले भ्रष्टाचार ने वो उम्मीद भी छीन ली है. यानी कुल मिलाकर सुविधाओं के नाम पर यहां व्यापारियों के पास सिर्फ आश्वासन का लॉलीपॉप है.
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